कई राज्यों में फैले एक गुप्त अभियान में, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक संगठित नेटवर्क का भंडाफोड़ किया, जिस पर भरोसेमंद ब्रांडों के नाम पर नकली जीवनरक्षक दवाएं बाजार में बेचने का आरोप है।
गुप्त सूचना के आधार पर की गई छापेमारी में पुलिस ने 1.10 लाख से अधिक नकली टैबलेट और कैप्सूल जब्त किए, साथ ही बड़ी मात्रा में ढीली गोलियां और पाउडर भी बरामद किया। दो अवैध फैक्ट्रियां — एक हरियाणा के जींद और दूसरी हिमाचल प्रदेश के बद्दी में — सील कर दी गईं, जहां औद्योगिक पैमाने पर दवाओं का उत्पादन हो रहा था।
इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें कथित सरगना भी शामिल है। बरामद दवाओं में 9,000 नकली अल्ट्रासेट® (जॉनसन एंड जॉनसन) और 6,100 नकली ऑगमेंटिन 625® (ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन) टैबलेट शामिल हैं, साथ ही 150 किलो ढीली गोलियां और 20 किलो ढीले कैप्सूल भी मिले। पुलिस का मानना है कि ये बैच उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के थोक व खुदरा बाजारों तक भेजे जाने वाले थे, जिनकी सप्लाई चेन छोटे कस्बों तक फैली हुई थी।
जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह किसी कॉर्पोरेट सप्लाई चेन की तरह काम करता था — एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के जरिए ऑर्डर समन्वय, हवाला चैनलों और फर्जी बैंक खातों के जरिए धन का लेनदेन, और बिना शक पैदा किए कच्चे माल की खरीदारी। गिरोह के ऑपरेशन मुरादाबाद, देवरिया, गोरखपुर (यूपी); पानीपत और जींद (हरियाणा); तथा बद्दी और सोलन (हिमाचल प्रदेश) तक फैले हुए थे।
यह कार्रवाई भारत में नकली दवाओं की बढ़ती चुनौती को रेखांकित करती है, जहां अपराधी तत्व नियामकीय खामियों का फायदा उठाकर जानलेवा उत्पाद बाजार में उतार रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की दवाएं, जिनमें अक्सर गलत मात्रा के रसायन या हानिकारक तत्व होते हैं, मरीजों के लिए इलाज को जानलेवा दांव में बदल सकती हैं।
“यह कोई छोटी-मोटी अवैध वर्कशॉप नहीं थी,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा। “यह एक संगठित मैन्युफैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क था, जो हजारों जिंदगियों को खतरे में डालने में सक्षम था।”
पुलिस अब खुदरा विक्रेताओं और वितरकों तक पहुंचकर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह नकली स्टॉक छापेमारी से पहले कहां-कहां तक पहुंच चुका था।