लखनऊ : आज की ये दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं। इन तस्वीरों में एक असली राजधर्म को बता रही है और दूसरी तस्वीर राजधर्म के खिलाफ है। यानी जनता को बरगलाने की। दोनों तस्वीरों में एक समान खासियत है। एक वर्तमान यूपी के सीएम हैं और दूसरी पूर्व सीएम की है। वर्तमान सीएम को सोशल मीडिया पर एक दिन पहले ही जनता ने नंबर-1 सीएम का खिताब दिया था और आज पूर्व सीएम से माफी मांगने को कह रही है। 2 जनवरी को 55 हजार से ज्यादा लोगों ने #योगीजी_नंबर_01 पर ट्वीट कर टॉप ट्रेंड बनाया। वहीं, 3 जनवरी को हजारों लोगों ने #माफी_मांगो_अखिलेश ट्वीट कर इसे ट्रेंड में ला दिया। आखिर इसके पीछे ऐसी क्या वजह हो सकती है? सबकुछ जानेंगे। लेकिन इस दौरान महान अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ कौटिल्य की राजधर्म के बारे में कही गई ये बात काफी प्रासंगिक बनी है। आप इसे जानते भी होंगे। कौटिल्य ने लिखा है कि
प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम्।
नात्मप्रियं प्रियं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं प्रियम्॥
इसका मतलब है कि ‘प्रजा के सुख में राजा का सुख है, प्रजा के हित में उसका हित है। राजा का अपना प्रिय (स्वार्थ) कुछ नहीं है, प्रजा का प्रिय ही उसका प्रिय है।
अब यूपी के गोरखपुर की इस तस्वीर को देखिए। हिन्दू सेवाश्रम में कैसे सीएम योगी आदित्यनाथ आम जनता की समस्या को सुन रहे हैं। आम लोग कुर्सी पर बैठे हैं। और ये खुद सबके पास जाकर एक-एक की समस्या सुन रहे हैं। क्योंकि इन्हें पता है कि प्रजा के हित में ही एक राजा यानी आज के मुखिया का हित है। अगर लोगों की समस्या दूर होगी तभी हमें खुशी मिलेगी। ऐसा नहीं कि योगी का ये जनता दरबार पहली बार लगा है। समय-समय पर ये जनता दरबार आम लोगों के लिए लगता है। जिसमें आए लोग खुलकर अपनी समस्या बताते हैं। जिस पर त्वरित कार्रवाई होती है।
आम जनता की समस्याओं को सुनने से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ हमेशा की तरह मंदिर भ्रमण कर साफ सफाई की व्यवस्था का जायजा लिया। गौशाला जाकर गायों को देखा। अपने हाथों से उन्हें खिलाया। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर भी लोगों ने सीएम की इस खासियत का गुणगान किया।
हम बीजेपी का वैक्सीन नहीं लगवा सकते… पर घिरे सपा प्रमुख
अब इन तस्वीरों को देखिए। आज ये सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इनमें कहा जा रहा है कि कोरोना वैक्सीन आखिर किसकी। क्या कोरोना वायरस किसी पार्टी विशेष की हो सकती है? इस पर लोगों का कहना है कि क्या कोरोना भी किसी राजनीतिक पार्टी से आया है? अगर कोरोना वायरस है और इसका किसी पार्टी से नहीं लेना-देना तो कोरोना वैक्सीन कैसे किसी पार्टी की हो सकती है।
It seems like politics is more important for @yadavakhilesh than the safety of people of their state.If this is the mentality of leaders than how can india will be corona free?#AkhileshYadav #माफी_मांगो_अखिलेश #YogiAdityanath @myogiadityanath pic.twitter.com/7cz2BJnuUW
— abhishek sharma 🇮🇳 (@abhi2108) January 3, 2021
ट्विटर पर एक यूजर ने तो लिखा है कि यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के लिए आम जनता की सेफ्टी से ज्यादा महत्वपूर्ण है राजनीति करना। अगर ऐसी सोच हो जाएगी हमारे देश के नेताओं की तो कोरोना फ्री कैसे बनेगा अपना इंडिया? इसके अलावा सपा प्रमुख अखिलेश यादव के 24 नवंबर को किए ट्वीट को लेकर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। दरअसल, इस ट्वीट में सपा प्रमुख ने लिखा था कि भाजपा जनता से ना खेले और कोरोना वैक्सीन (टीकाकरण) की व्यवस्था कराए। आज जब सरकार कोरोना वैक्सीन लगाने की तैयारी कर रही है तो यही सपा प्रमुख अब अपने बयान से पलटकर इसमें राजनीति कर रहे हैं।