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Home»प्रदेश»वनटांगिया समुदाय के लिए योगी आदित्यनाथ ने लड़ी लंबी लड़ाई, मुख्यमंत्री बनने पर दिलाया हक, जानें- इनके बारे में विस्तार से
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वनटांगिया समुदाय के लिए योगी आदित्यनाथ ने लड़ी लंबी लड़ाई, मुख्यमंत्री बनने पर दिलाया हक, जानें- इनके बारे में विस्तार से

BharatSpeaksBy BharatSpeaksAugust 16, 2021Updated:August 16, 2021No Comments3 Mins Read
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वनटांगिया समुदाय को के लिए योगी आदित्यनाथ ने लड़ी लंबी लड़ाई, मुख्यमंत्री बनने पर दिलाया हक, जानें- इनके बारे में विस्तार से
वनटांगिया समुदाय को के लिए योगी आदित्यनाथ ने लड़ी लंबी लड़ाई, मुख्यमंत्री बनने पर दिलाया हक, जानें- इनके बारे में विस्तार से
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अंग्रेजी हुकूमत ने भारत में जब रेल की पटरियां बिछानी शुरू की, तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर साखू के पेड़ों (Sal Tree) की कटाई हुई। इसकी भरपाई के लिए ब्रीटिश सरकार ने साखू के पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों और मजदूरों को जंगलों में बसाया। इन लोगों के पास जीवनयापन का कोई जरिया नहीं था। साखू के पेड़ों का जंगल बसाने के लिए वर्मा (अब म्यांमार) की टांगिया विधि का इस्तेमाल हुआ। इसलिए वन में रहकर साखू के पेड़ लगाने और उनकी देख-रेख करने वालों को वनटांगिया कहा जाने लगा। गोरखपुर जिले के कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नंबर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में वनटांगियों की बस्तियां हैं। ये बस्तियां 1918 में बसाई गई थीं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक दशक से भी ज्यादा समय से इनके साथ दिवाली मनाते हैं। यही नहीं सीएम ने इस समुदाय के हक के लिए लड़ाई भी लड़ी है और मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने वनटांगियों को वो सारे हक दिए, जिससे वे सालों से वंचित थे। मुख्यमंत्री ने इन्हें न केवल सड़क, मकान, आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाएं मुहैया कराई हैं बल्कि वनटांगिया गांवों में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई का भी ध्यान रखा है।

प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण
यूपी सरकार के प्रवक्ता के अनुसार प्रदेश में स्थित वनग्राम में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण किया गया है। इनमें शिक्षकों की तैनाती के साथ ही बच्चों को पढ़ने और खेलकूद की सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है।

रोजगार के अवसर
गोरखपुर के पांच वनटांगिया गांवों में पांच प्राथमिक और दो उच्च प्राथमिक विद्यालय बनाए गए हैं। महाराजगंज के 18 वनटांगिया गांवों में 17 प्राथमिक व 9 उच्च प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण कार्य चल रहा है। सरकार ने स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के कई अवसर भी पैदा किए हैं।

‘राजस्व गांव’ का दर्जा
मुख्यमंत्री योगी ने वनटांगिया में रहने वाले गांवों के लिए ‘राजस्व गांव’ का दर्जा सुनिश्चित किया। यह समुदाय के लोगों को हर वो हक दिलाता है, जो एक भारतीय नागरिक को मिलता है। नतीजतन, ग्रामीणों को पहली बार गांव की अपनी सरकार (पंचायत) चुनने का मौका मिला।

जब गोरखपुर में वनटांगिया समुदाय के लोगों पर चली गोली
जब साखू के पेड़ों का जंगल तैयार हो गया तो वनटांगिया समुदाय के लोगों को यहां से बेदखल किया जाने लगा। वन विभाग की टीम 6 जुलाई 1985 को कुसम्ही जंगल की वनटांगिया बस्तियों में पहुंची और उन्हें दूसरे स्थान पर जाने के लिए कहा। लोगों ने ऐसा करने से मना कर दिया। वन विभाग की टीम के साथ मौजूद सुरक्षा बलों ने वनटांगियों पर फायरिंग की। इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि 28 अन्य घायल हो गए। घटना के बाद वन विभाग ने अपने तेवर थोड़े नरम पड़े, लेकिन वनटांगियों पर विस्थापन का खतरा खत्म नहीं हुआ था।

सीएम योगी ने लड़ी लड़ाई
योगी आदित्यनाथ 1998 में गोरखपुर से सांसद बने और उन्होंने वनटांगिया समुदाय के मुद्दे को संसद के पटल पर लगातार उठाया। इसका नतीजा था कि 2007-08 में वन अधिकार संशोधन अधिनियम पास हुआ। हालांकि, अभी काम पूरा नहीं हुआ था। जब योगी मुख्यमंत्री बने तो वनटांगियों को उनका हक मिला।

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