प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से दिल्ली तक बुलेट ट्रेन चलाने को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। करीब छह महीने की मेहनत के बाद इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार हो गई है। नौ नवंबर को यह रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंप दी गई है। शासन से आदेश मिलते ही वाराणसी जिला प्रशासन जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ कर देगा। भारतीय रेलवे के उपक्रम एनएचएसआरसीएल (नेशनल हाई स्पीड रेल कारिडोर लिमिटेड) ने डीपीआर तैयार की है।
पूर्वोत्तर रेलवे के ज्ञानपुर ट्रैक के किनारे से बुलेट ट्रेन के लिए हाई स्पीड कारिडोर बनाया जाएगा। यह कारिडोर वाराणसी के 30 गांवों से 22 किलोमीटर गुजरेगा। इसके लिए कुल 100 हेक्टेअर भूमि की दरकार होगी।
पूर्वोत्तर रेलवे के ज्ञानपुर ट्रैक के किनारे हाई स्पीड कारिडोर निर्माण के लिए जमीन की तलाश पूरी हो गई है। अब भूमि अधिग्रहण की कवायद की जानी शेष है, जिसकी प्रक्रिया प्रारंभ करने का इंतजार जिला प्रशासन की ओर से किया जा रहा है। जमीन अधिग्रहण में पारदर्शिता के लिए प्रत्येक गांव में समितियां बनाई जाएंगी। किसानों की सहमति से जमीन की खरीद की जाएगी। इससे पहले समाचार पत्र में अधिग्रहण की सूचना प्रकाशित होगी।
810 किमी दूरी महज तीन घंटे 40 मिनट में होगी तय
ग्रामीण क्षेत्र में सर्किल रेट से चार गुना तथा शहरी क्षेत्र में दो-गुना मुआवजा दिया जाएगा। यह हाई स्पीड कारिडोर उत्तर प्रदेश के 22 जिलों तथा दिल्ली के दो जिलों से होकर गुजरेगा। इसमें बनारस की दो तहसीलों राजातालाब व सदर के 30 गांव प्रभावित होंगे। वाराणसी से दिल्ली के लिए बुलेट ट्रेन 810 किमी दूरी महज तीन घंटे 40 मिनट में तय करेगी। वाराणसी से दिल्ली तक हाई स्पीड कारिडोर से एक शाखा कारिडोर भी जुड़ेगा जिससे लखनऊ होते हुए अयोध्या तक करीब 135 किमी का सफर भी किया जा सकेगा।
दिल्ली-वाराणसी के बीच स्टेशन
बुलेट ट्रेन का प्रस्तावित मार्ग दिल्ली के सराय काले खान से शुरू होकर गौतम बुद्ध नगर, मथुरा, आगरा, कानपुर, लखनऊ, रायबरेली, प्रयागराज, संत रविदास नगर, मीरजापुर होकर वाराणसी के मंडुआडीह में समाप्त होगा। वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा कि बुलेट ट्रेन के हाई स्पीड कारिडोर निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण कार्य होना है, लेकिन अब तक इस बाबत कोई शासन का आदेश नहीं मिला है। नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही होगी।’