अनीशा कुमारी, लखनऊ: Cabinet ने पीलीभीत बाघ संरक्षण फाउंडेशन का गठन किए जाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है और इसके साथ ही फाउंडेशन के संबंध में अन्य सभी निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया गया है।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 38 ग में निहित प्रावधानों के अंतर्गत पीलीभीत टाइगर रिजर्व फाउंडेशन का संगम ज्ञापन और पीलीभीत बाघ संरक्षण फाउंडेशन उत्तर प्रदेश की नियमावली के अनुरूप यह निर्णय लिया गया है।
प्रदेश में जैव विविधता के संरक्षण और उसके प्रबंधन के लिए बाघ संरक्षण फाउंडेशन स्थापित किया जाना जरूरी है। पीलीभीत बाघ संरक्षण फाउंडेशन का गठन भारत सरकार से प्राप्त पूर्व अनुमति के आधार पर एक समिति के रूप में किया जा रहा है और इस फाउंडेशन का उद्देश्य स्वीकृत टाइगर कंजर्वेशन प्लान के अनुसार विभिन्न स्टेकहोल्डर की सहभागिता से पीलीभीत टाइगर रिजर्व के प्रबंधन को बाघ एवं जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग प्रदान करना होगा।
समिति की गतिविधियां कार्यदाई संस्था संचालित करेगी। बाघ संरक्षण के लिए समिति के मुख्य उद्देश्य पीलीभीत टाइगर रिजर्व और निकटवर्ती क्षेत्र में पारिस्थितिकी आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को प्रोत्साहित करना पीलीभीत टाइगर रिजर्व व निकटवर्ती क्षेत्र के वातावरण को सुरक्षित रखने में सहयोग प्रदान करना है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व को जानिए
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले और शाहजहाँपुर जिले में स्थित है, जो ऊपरी गंगा के मैदान बायोग्राफिकल प्रांत में तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है। रिज़र्व से कुछ नदिया, जैसे शारदा, चूका और माला, खाननॉट होकर निकलती है।
साल के जंगलों, लंबी घास के मैदानों और नदियों से समय-समय पर बाढ़ द्वारा बनाए गए दलदल यहाँ की विशेषता है। रिजर्व की सीमा पर शारदा सागर बांध है जो 22 किमी (14 मील) की लंबाई तक फैला है। यह भारत-नेपाल सीमा पर हिमालय की तलहटी और उत्तर प्रदेश में तराई के मैदानों के साथ स्थित है। यह तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है। यह भारत के 51 प्रोजेक्ट टाइगर टाइगर रिजर्व में से एक है।