आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से आने वाले वर्षों में वैश्विक नौकरी बाजार में भारी उथल-पुथल की संभावना है — और इस बदलाव से पहले ही युवाओं को तैयार हो जाना चाहिए। यह चेतावनी गूगल डीपमाइंड (Google DeepMind) के सीईओ डेमिस हासाबिस ने हाल ही में दी है।
गूगल I/O 2025 कॉन्फ्रेंस और “हार्ड फोर्क” पॉडकास्ट में बोलते हुए, हासाबिस ने कहा कि अगले 5 से 10 वर्षों में एआई का असर कई पारंपरिक नौकरियों पर पड़ेगा, लेकिन साथ ही यह कई नए, रोमांचक और अधिक मूल्यवान जॉब रोल भी पैदा करेगा।
“जब कोई बड़ी तकनीकी क्रांति आती है, तो यह सामान्य है कि कुछ नौकरियां खत्म होती हैं, लेकिन साथ ही उससे बेहतर और अधिक रचनात्मक नौकरियां जन्म लेती हैं,” उन्होंने कहा।
पीढ़ियों को बदलने वाली तकनीक
हासाबिस ने जनरेशन अल्फा (Gen Alpha) के लिए जनरेटिव एआई को उतना ही प्रभावशाली बताया जितना इंटरनेट मिलेनियल्स और स्मार्टफोन जनरेशन Z के लिए रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से किशोरों से आग्रह किया कि वे एआई टूल्स के प्रति न सिर्फ जिज्ञासु हों, बल्कि उसमें दक्षता भी हासिल करें।
“अगर आप आज एआई को सीखना शुरू करते हैं, तो भविष्य की दुनिया में आपको बढ़त मिलेगी। यह स्किल न केवल तकनीकी रूप से बल्कि करियर की दृष्टि से भी निर्णायक होगी,” उन्होंने कहा।
एआई सीखना ही भविष्य की कुंजी
हासाबिस ने कहा कि युवाओं को सिर्फ कोडिंग या तकनीकी स्किल्स पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि उन्हें “मेटा स्किल्स” जैसे रचनात्मकता, अनुकूलन क्षमता और लचीलापन भी विकसित करना चाहिए।
उनका मानना है कि आने वाले दशक में मानव-समान सोच रखने वाला आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) भी हकीकत बन सकता है — जो पारंपरिक नौकरी ढांचे को पूरी तरह से बदल देगा।
शिक्षा में बदलाव की शुरुआत
एआई की बढ़ती मांग को देखते हुए, दुनियाभर की यूनिवर्सिटीज अपने पाठ्यक्रमों में एआई शिक्षा को शामिल कर रही हैं। अमेरिका की राइस यूनिवर्सिटी जैसी संस्थाएं अब एआई में डिग्री कोर्स शुरू करने की घोषणा कर चुकी हैं ताकि छात्र भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार हो सकें।
हासाबिस का स्पष्ट संदेश है — एआई कोई विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता है। जो छात्र और युवा आज से इसमें निवेश करेंगे, वही कल की प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे होंगे।