एक व्यापक वास्तविक दुनिया-आधारित अध्ययन ने मोटापे के इलाज के लिए चिकित्सा दृष्टिकोण को फिर से परिभाषित करने की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाया है। इस अध्ययन में पाया गया है कि गंभीर मोटापे से जूझ रहे मरीजों के लिए बेरियाट्रिक सर्जरी की तुलना में GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट दवाएं दीर्घकालिक और स्थायी वजन घटाने में काफी पीछे हैं।
यह शोध 2025 में अमेरिकन सोसाइटी फॉर मेटाबोलिक एंड बेरियाट्रिक सर्जरी (ASMBS) की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया, जिसमें 63,000 से अधिक वयस्कों का विश्लेषण किया गया जिनका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 35 या उससे अधिक था। अध्ययन में उन मरीजों के परिणामों की तुलना की गई जिन्होंने स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी या गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी करवाई, बनाम उन लोगों से जो सेमाग्लूटाइड और टिरज़ेपाटाइड जैसी लोकप्रिय GLP-1 दवाएं ले रहे थे।
सर्जरी से 3 से 5 गुना अधिक वजन घटाव
शोधकर्ताओं ने बताया कि जिन्होंने बेरियाट्रिक सर्जरी करवाई, उन्होंने तीन वर्षों में औसतन 24% वजन कम किया। वहीं GLP-1 दवाओं का सेवन करने वाले मरीजों का वजन केवल 5–7% तक ही घटा।
यह अंतर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि GLP-1 दवाएं, जैसे Ozempic और Mounjaro, को हाल के वर्षों में अत्यधिक लोकप्रियता मिली है, विशेषकर क्लीनिकल ट्रायल में उनके अच्छे परिणामों के कारण। हालांकि, वास्तविक जीवन में इन दवाओं की प्रभावशीलता काफी कम पाई गई है।
अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. एवरी ब्राउन (NYU लैंगोन) ने कहा, “ट्रायल में इन दवाओं के शानदार परिणाम देखने को मिले हैं, लेकिन वास्तविक जीवन में मरीज इनका नियमित रूप से उपयोग नहीं करते या बीच में छोड़ देते हैं — यही कारण है कि असर अपेक्षा से कम होता है।”
मोटापे के इलाज की रणनीति पर पुनर्विचार
GLP-1 दवाओं पर बढ़ती निर्भरता के बीच बेरियाट्रिक सर्जरी की दर में गिरावट आई है, जिससे विशेषज्ञों में यह चिंता उठी है कि क्या इन दवाओं को अधिक प्रभावी सर्जिकल विकल्पों की जगह पर ज़रूरत से ज्यादा उपयोग किया जा रहा है।
ASMBS की अध्यक्ष डॉ. ऐन एम. रोजर्स के अनुसार, “GLP-1 दवाएं एक उपयोगी विकल्प हैं, लेकिन वे सर्जरी का स्थान नहीं ले सकतीं — खासकर उन मरीजों के लिए जिन्हें लंबे समय तक स्थायी परिणाम की आवश्यकता होती है।”
सर्जरी से न केवल वजन घटता है, बल्कि यह टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, स्लीप एपनिया और हृदय रोग के जोखिम को भी कम कर सकती है। फिर भी, अमेरिका में केवल 1% से भी कम पात्र मरीज हर साल सर्जरी करवाते हैं।
लागत, पहुंच और व्यक्तिगत उपचार योजना की भूमिका
बेरियाट्रिक सर्जरी में एकमुश्त लागत और रिकवरी पीरियड जरूर होता है, लेकिन अधिकतर मामलों में बीमा इसे कवर करता है। इसके विपरीत, GLP-1 दवाएं अक्सर $1,000 प्रति माह तक की होती हैं, जिनका बीमा कवरेज सीमित रहता है और इनका लाभ तब तक ही बना रहता है जब तक दवा ली जा रही हो।
डॉ. ब्राउन कहते हैं, “यह बहस नहीं होनी चाहिए कि दवा बेहतर है या सर्जरी, बल्कि यह विचार होना चाहिए कि किस व्यक्ति के लिए कौन-सा विकल्प ज्यादा उपयुक्त है। यह अध्ययन मरीजों और डॉक्टरों को निर्णय लेने में वास्तविक आंकड़ों पर आधारित स्पष्टता प्रदान करता है।”
जैसे-जैसे मोटापे के प्रभावी इलाज की मांग बढ़ रही है, विशेषज्ञ संयुक्त निर्णय प्रक्रिया (shared decision-making) पर जोर दे रहे हैं, जिसमें मरीज की प्राथमिकता, चिकित्सीय इतिहास और दीर्घकालिक पालन क्षमता को ध्यान में रखा जाए।