संयुक्त राष्ट्र की Population Prospects Report 2023 के मुताबिक, दुनिया हर घंटे करीब 15,081 नए जीवन का स्वागत करती है। यह आंकड़ा अपने आप में आश्चर्यजनक है, लेकिन इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि इन बच्चों में से आधे से ज्यादा सिर्फ 9 देशों में जन्म लेते हैं।
भारत – दुनिया का नन्हा पावरहाउस
भारत इस सूची में सबसे ऊपर है। रिपोर्ट बताती है कि भारत में हर घंटे 2,651 बच्चों का जन्म होता है। यानी पूरी दुनिया में जन्म लेने वाले हर 6 बच्चों में से 1 बच्चा भारतीय है।
यह आँकड़ा भारत की तेजी से बढ़ती युवा आबादी को दर्शाता है। जहां यह एक तरफ संसाधनों और स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव डालता है, वहीं दूसरी ओर आने वाले दशकों में भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी कार्यबल (workforce) का मालिक बना सकता है।
टॉप 9 देश जहां सबसे ज्यादा जन्म
1. 🇮🇳 भारत – 2,651
2. 🇨🇳 चीन – 1,016
3. 🇳🇬 नाइजीरिया – 857
4. 🇵🇰 पाकिस्तान – 786
5. 🇮🇩 इंडोनेशिया – 512
6. 🇪🇹 इथियोपिया – 498
7. 🇨🇩 कांगो (DRC) – 469
8. 🇺🇸 अमेरिका – 418
9. 🇧🇩 बांग्लादेश – 398
बाकी दुनिया के सभी देशों को मिलाकर हर घंटे करीब 7,476 बच्चे जन्म लेते हैं।
क्यो है यह आंकड़ा अहम?
जनसंख्या दबाव: इतने बड़े पैमाने पर जन्म दर का मतलब है कि आने वाले वर्षों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, भोजन और रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतों पर अभूतपूर्व दबाव पड़ेगा।
आर्थिक अवसर: खासकर भारत और अफ्रीकी देशों में यह बड़ी युवा आबादी, अगर सही ढंग से शिक्षित और प्रशिक्षित की जाए, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकती है।
वैश्विक संतुलन में बदलाव: जहां विकसित देशों में जन्म दर घट रही है और आबादी बूढ़ी हो रही है, वहीं एशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में यह तेजी से बढ़ रही है। आने वाले दशकों में यही क्षेत्र दुनिया की भविष्य की अर्थव्यवस्था और राजनीति तय करेंगे।
भारत के लिए चुनौती और अवसर
भारत के सामने दोहरी चुनौती है—
1. बढ़ती आबादी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं देना।
2. इस विशाल मानव संसाधन को कौशल विकास (skill development) के जरिए नौकरी और उद्यमिता के लिए तैयार करना।
अगर भारत इस चुनौती को अवसर में बदलता है, तो 21वीं सदी सचमुच भारत की सदी बन सकती है।