देहरादून, उत्तराखंड — एक रुपये की मामूली मांग अब नागरिकों के बैंक खातों को खाली करने का नया माध्यम बन चुकी है। उत्तराखंड में हाल ही में दर्ज दो घटनाओं ने इस साइबर अपराध की बदलती प्रकृति को उजागर किया, जहां तकनीकी चालाकी और भावनात्मक विश्वास का खतरनाक मेल दिखाई दिया।
पहले मामले में, एक व्यक्ति को एक कथित कूरियर कंपनी का कॉल आया। कॉल करने वाले ने बताया कि पार्सल प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन सिर्फ एक रुपये का भुगतान करना होगा। जैसे ही पीड़ित ने बैंक विवरण और OTP साझा किया, उसके खाते से ₹49,999 गायब हो गए।
दूसरे मामले में, एक व्यक्ति को उसके कथित रिश्तेदार का फोन आया और एक रुपये के ऑनलाइन ट्रांसफर की गुजारिश की गई। प्रक्रिया वही रही — विवरण साझा हुआ और खाते से ₹49,999 की रकम उड़ गई।
साइबर अपराध का बदलता चेहरा
पूर्व IPS अधिकारी और साइबर क्राइम विशेषज्ञ प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह ने कहा, “अपराधी अब न सिर्फ तकनीकी कौशल का इस्तेमाल कर रहे हैं, बल्कि लोगों की मानसिक दशा और भावनात्मक कमजोरियों को भी भुनाने लगे हैं। एक रुपये जैसी मामूली रकम मासूम लगती है, लेकिन यही शुरुआत होती है बड़ी ठगी की। लोग छोटी मांग को नजरअंदाज कर देते हैं, और अपराधी इसी भरोसे को अपना फायदा बनाते हैं।”
विशेषज्ञ इसे ‘माइक्रो ट्रांजैक्शन फ्रॉड’ का नया रूप कहते हैं, जिसमें अपराधी छोटी रकम के बहाने लोगों को जाल में फंसाते हैं।
- सावधानी ही सुरक्षा है
- साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और पुलिस विभाग नागरिकों को सतर्क रहने की चेतावनी दे रहे हैं:
- OTP और बैंक विवरण किसी के साथ साझा न करें।
- अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
- कॉलर की पहचान की पुष्टि करें।
- किसी भी साइबर अपराध की रिपोर्ट हेल्पलाइन 1930 या cybercrime.gov.in पर करें।