गुर्दे की बीमारी को अक्सर “साइलेंट किलर” कहा जाता है। शुरुआती संकेत इतने हल्के होते हैं कि वे रोज़मर्रा की थकान, झागदार पेशाब या आंखों के नीचे सूजन के रूप में सामने आते हैं। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि जब तक लक्षण स्पष्ट दिखाई दें, तब तक गुर्दों को गंभीर नुकसान पहुँच चुका होता है।
जब सामान्य लक्षण गहरी समस्या छुपाते हैं
ज्यादातर लोग मानते हैं कि गुर्दे की बीमारी तेज़ दर्द या अचानक बदलाव से शुरू होती है। लेकिन हकीकत यह है कि शुरुआती चेतावनियाँ बेहद साधारण लग सकती हैं—पेशाब में हल्का झाग, रात में बार-बार उठना या पैरों में सूजन। अक्सर इन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, जबकि यही संकेत गुर्दों की फिल्टरिंग क्षमता में गिरावट दिखाते हैं।
छह प्रमुख संकेत जिन पर डॉक्टर जोर देते हैं
हाल ही की रिपोर्ट में छह लक्षण बताए गए हैं जो गंभीर गुर्दा क्षति से पहले दिखाई देते हैं:
- झागदार या बबल्स वाला पेशाब – मूत्र में प्रोटीन लीक होने का संकेत।
- आंखों या टखनों में सूजन – शरीर में तरल पदार्थ रुकने का परिणाम।
- रात में बार-बार पेशाब आना – गुर्दों की घटती कार्यक्षमता।
- गहरा या चाय जैसा रंग का पेशाब – खून या अपशिष्ट पदार्थ का संकेत।
- लगातार थकान – लाल रक्त कोशिकाओं की कमी और एनीमिया।
- मुंह में धातु जैसा स्वाद या बदबूदार सांस – खून में विषैले तत्वों का जमाव।
ये लक्षण अलग-अलग सामान्य लग सकते हैं, लेकिन साथ मिलकर गंभीर गुर्दा रोग की ओर इशारा करते हैं।
देर से क्यों पकड़ी जाती है बीमारी
गुर्दे अद्भुत सहनशील होते हैं। वे तब तक काम करते रहते हैं जब तक उनकी क्षमता काफी कम न हो जाए। इसी वजह से जब तक रोगी डॉक्टर तक पहुँचता है, अक्सर बीमारी उन्नत स्तर पर पहुँच चुकी होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप या पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को नियमित जाँच करवानी चाहिए ताकि बीमारी समय रहते पकड़ी जा सके।
एक वैश्विक स्वास्थ्य चेतावनी
विश्व स्तर पर गुर्दे की बीमारियाँ जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के साथ तेज़ी से बढ़ रही हैं। समय पर इलाज न मिलने पर मरीज को डायलिसिस या ट्रांसप्लांट तक की ज़रूरत पड़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आम लोग शुरुआती संकेतों को समझ लें तो नतीजे बदल सकते हैं। जैसे सीने में दर्द दिल के लिए चेतावनी माना जाता है, वैसे ही पेशाब में बदलाव, सूजन और लगातार थकान को गुर्दों की चेतावनी मानना ज़रूरी है।