केरल इस समय दुर्लभ लेकिन घातक मस्तिष्क संक्रमणों के बढ़ते मामलों से जूझ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते तापमान और दूषित जल स्रोत इन मामलों में तेजी का कारण हैं। इस महीने अब तक छह मौतें दर्ज हो चुकी हैं।
एक दुर्लभ लेकिन घातक बीमारी
यह संक्रमण नेगलेरिया फाउलेरी जैसे अमीबा के कारण होने वाले अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस से जुड़ा है। पहले कभी-कभार ही दिखने वाली यह बीमारी अब मलप्पुरम और कोझिकोड सहित कई जिलों में लगातार मामलों और मौतों के रूप में सामने आ रही है।
पर्यावरणीय कारण और देर से पहचान
विशेषज्ञों के अनुसार बढ़ता परिवेशीय तापमान और स्थिर, प्रदूषित जल निकाय इन सूक्ष्मजीवों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बना रहे हैं। शुरुआती लक्षण—जैसे तेज बुखार, सिरदर्द और उल्टी—अक्सर सामान्य समझे जाते हैं, जिसके चलते इलाज देर से शुरू होता है।
स्वास्थ्य तंत्र पर दबाव और रोकथाम की चुनौतियाँ
अस्पतालों में बच्चों सहित कई नए मामले दर्ज हो रहे हैं। इलाज महंगा और जटिल है, वहीं स्थानीय निकायों, स्वास्थ्य विभाग और जनजागरूकता अभियानों की कमी से रोकथाम के प्रयास प्रभावित हुए हैं।
त्वरित कदम और आगे की राह
राज्य सरकार ने कुओं और टैंकों में क्लोरीनीकरण, तालाबों के पास चेतावनी बोर्ड और बिना उपचारित पानी के इस्तेमाल से बचने जैसी पहलें शुरू की हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर पहचान और सख्त जल सुरक्षा उपाय ही आगे मौतों को रोक सकते हैं।