बढ़ती वैज्ञानिक समझ यह साबित कर रही है कि पाचन तंत्र और हृदय स्वास्थ्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आलोक चोपड़ा का कहना है कि अस्वस्थ आंतें — जिनमें बैक्टीरिया का असंतुलन और रक्त प्रवाह में विषैले तत्वों का रिसाव शामिल है — शरीर में सूजन बढ़ाती हैं और यह उच्च कोलेस्ट्रॉल, रक्तचाप में वृद्धि तथा हृदय रोगों के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
जीवनशैली में छोटे बदलाव
विशेषज्ञों के अनुसार, आहार और दिनचर्या में छोटे सुधार बड़े परिणाम ला सकते हैं। धीरे-धीरे और सजग होकर भोजन करना, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थों से परहेज़, उचित मात्रा में खाना, पर्याप्त पानी पीना और भोजन के बाद हल्की सैर करना आंतों के लिए लाभकारी है।
आहार और नींद का संतुलन
फाइबरयुक्त भोजन, प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ, पर्याप्त नींद और तनाव नियंत्रण न केवल पेट की समस्याओं को कम करते हैं बल्कि हृदय पर पड़ने वाले बोझ को भी घटाते हैं। नियमित शारीरिक गतिविधि इस प्रक्रिया को और मज़बूत बनाती है।
दिल की सेहत की नई परिभाषा
पहले जहाँ आंतों को केवल पाचन का साधन माना जाता था, अब चिकित्सक इसे दीर्घकालिक हृदय सुरक्षा की कुंजी मान रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि लोग अपने पेट की देखभाल पर ध्यान दें तो यह भारत जैसे देशों में हृदय रोगों की बढ़ती चुनौती को कम करने में मदद कर सकता है।