आज जिम से लेकर सुपरमार्केट तक, प्रोटीन को ताक़त और ऊर्जा का प्रतीक बताया जाता है। यह पतला शरीर, तेज़ वज़न घटाने और लंबे समय तक भूख न लगने का वादा करता है। अमेरिका में वयस्क पहले से ही अनुशंसित मात्रा से लगभग 20% अधिक प्रोटीन का सेवन कर रहे हैं। भारत में भी प्रोटीन पाउडर और हाई-प्रोटीन डाइट योजनाओं की मांग तेज़ी से बढ़ रही है।
लेकिन डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि यह रुझान विज्ञान से कटा हुआ है। “लोग समझते हैं कि थोड़ा अच्छा है तो ज़्यादा और बेहतर होगा। प्रोटीन के मामले में यह सच नहीं है,” एक पोषण विशेषज्ञ ने कहा।
छिपे हुए स्वास्थ्य जोखिम
अत्यधिक प्रोटीन का असर धीरे-धीरे सामने आता है, लेकिन इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
- पाचन संबंधी परेशानी: प्रोटीन-समृद्ध और कार्बोहाइड्रेट-गरीब डाइट से गैस, कब्ज़ और बदबूदार सांस जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
- किडनी पर दबाव: अधिक प्रोटीन, ख़ासतौर पर पशु स्रोतों से, किडनी पर अतिरिक्त बोझ डालता है और किडनी स्टोन या अन्य बीमारियों का ख़तरा बढ़ाता है।
- कैंसर का ख़तरा: लंबे समय तक रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट से मिलने वाला प्रोटीन कैंसर के मामलों से जुड़ा पाया गया है।
सप्लीमेंट्स भी सुरक्षित नहीं हैं। कई प्रोटीन पाउडर में हानिकारक रसायन और भारी धातुएँ पाई गई हैं, जो धीरे-धीरे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
कितना प्रोटीन काफ़ी है?
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और वैश्विक स्वास्थ्य संस्थान सलाह देते हैं कि प्रति किलोग्राम शरीर के वज़न पर 0.8 से 1 ग्राम प्रोटीन पर्याप्त है—यानी औसत वयस्क के लिए लगभग 50–60 ग्राम प्रतिदिन। 2 ग्राम प्रति किलोग्राम से अधिक सेवन को ख़तरनाक माना जाता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनको मधुमेह, उच्च रक्तचाप या किडनी की बीमारी है।
“शरीर सिर्फ़ सीमित मात्रा में ही प्रोटीन का उपयोग कर सकता है। बाक़ी किडनी पर दबाव डालता है और शरीर में विषाक्त पदार्थ बढ़ा सकता है,” एक नेफ्रोलॉजिस्ट ने बताया।
संतुलित आहार है समाधान
विशेषज्ञ मानते हैं कि समाधान प्रोटीन को खलनायक मानना नहीं, बल्कि समझदारी से इसका सेवन करना है।
- मात्रा से अधिक गुणवत्ता: दालें, दूध, मछली और पौध-आधारित प्रोटीन, प्रोसेस्ड मीट की तुलना में सुरक्षित हैं।
- सप्लीमेंट्स का संयमित उपयोग: असली भोजन को कभी प्रोटीन पाउडर से न बदलें।
- पानी ज़रूरी है: पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन किडनी पर दबाव कम करता है।
- नियमित जाँच: हाई-प्रोटीन डाइट लेने वालों को समय-समय पर किडनी की जाँच करानी चाहिए।
ज़रूरी लेकिन सीमित
प्रोटीन शरीर की ज़रूरत है—यह मांसपेशियाँ बनाता है, ऊतक ठीक करता है और ऊर्जा देता है। लेकिन नए अध्ययन यह चेतावनी देते हैं कि अति-प्रोटीन की चाहत उल्टा नुकसान पहुँचा सकती है। प्रोटीन का पैरेडॉक्स हमें याद दिलाता है: ज़रूरत से अधिक हर चीज़ हानिकारक हो सकती है, चाहे वह सेहत का प्रिय पोषक तत्व ही क्यों न हो।