भारत में हर वर्ष 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है — यह वह दिन है जब वर्ष 1826 में कोलकाता (तब कलकत्ता) से देश का पहला हिंदी समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ प्रकाशित हुआ था। यह दिन भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता के जन्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की नींव को सलाम करने का अवसर है।
इतिहास: जब पहली बार हिंदी में छपी जनता की आवाज़
‘उदन्त मार्तण्ड’ के संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने एक ऐसे समय में हिंदी पत्र निकालने का साहसिक निर्णय लिया, जब शिक्षा, मुद्रण तकनीक और हिंदी भाषा के प्रचार में अनेक चुनौतियाँ थीं।
यह साप्ताहिक अख़बार ब्रह्मिणों और शिक्षित वर्ग को ध्यान में रखते हुए छापा गया था और इसके माध्यम से देशवासियों को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों की जानकारी दी जाती थी। दुर्भाग्यवश, इसे सरकार से कोई सहायता नहीं मिली और यह मात्र 79 अंकों के बाद बंद हो गया, लेकिन इसने हिंदी पत्रकारिता का जो बीज बोया, वह आज एक विशाल वृक्ष बन चुका है।
वर्तमान परिदृश्य: ग्रामीण भारत से डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म तक हिंदी पत्रकारिता का विस्तार
आज हिंदी पत्रकारिता का स्वरूप बहुत विस्तृत और सशक्त हो चुका है। प्रिंट मीडिया के साथ-साथ हिंदी डिजिटल मीडिया, न्यूज़ चैनल्स, वेब पोर्टल्स और यूट्यूब चैनल्स ने आमजन तक खबरों को पहुंचाना आसान और प्रभावशाली बना दिया है।
- देश के 60% से अधिक लोग हिंदी या उसकी उपभाषाओं को प्राथमिक भाषा के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
- डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर हिंदी न्यूज़ पोर्टलों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है।
- युवा पत्रकार अब न केवल पत्रकारिता कर रहे हैं, बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभाव भी बना रहे हैं।
चुनौतियाँ: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरे, फेक न्यूज़, और सुरक्षा का संकट
हालांकि हिंदी पत्रकारिता का दायरा बढ़ा है, लेकिन पत्रकारों को कई नई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:
- पत्रकारों पर हमले और दबाव, खासकर ग्रामीण और संवेदनशील इलाकों में।
- फेक न्यूज़ और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से उत्पन्न भ्रम।
- स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए आर्थिक संसाधनों की कमी और मालिकाना हस्तक्षेप।
2024 में भारत 161वें स्थान पर था प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में, जो चिंताजनक संकेत है।
भविष्य की दिशा: हिंदी पत्रकारिता को नई तकनीक, सटीकता और ईमानदारी की जरूरत
आने वाले समय में हिंदी पत्रकारिता के सामने निम्नलिखित बिंदु अहम होंगे:
- AI और टेक्नोलॉजी का समावेश: रिपोर्टिंग, फैक्ट चेकिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए।
- स्रोतों की पारदर्शिता और डाटा पत्रकारिता का विकास।
- स्थानीय मुद्दों की कवरेज को प्राथमिकता देना।
निष्कर्ष: हिंदी पत्रकारिता एक मिशन है, केवल पेशा नहीं
हिंदी पत्रकारिता दिवस उस जज़्बे को याद करने का दिन है, जब सीमित संसाधनों के बावजूद जनता तक सच्ची बात पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाई गई। आज, जब तकनीक और सूचनाओं का विस्फोट हो रहा है, हमें इस मूल भावना को बनाए रखते हुए पत्रकारिता को न्याय, निष्पक्षता और जिम्मेदारी के साथ आगे ले जाना होगा।