लखनऊ : भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 4 साल का कार्यकाल ही दूसरी सरकारों के दशकों के कार्यकाल पर भारी पड़ा है। योगी सरकार ने पिछले किसी भी सरकार से कहीं ज्यादा यूपी के विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए काम किया है। योगी आदित्यनाथ की सरकार जब 2017 में सत्ता में आई, तो उत्तर प्रदेश में दो कार्यात्मक एक्सप्रेसवे थे। एक 165 किलोमीटर लंबा यमुना एक्सप्रेसवे, जो आगरा को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से जोड़ता है। वहीं दूसरा 302 किलोमीटर लंबा लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे है। इन दो एक्सप्रेसवे को बनाने में पूर्व की दो सरकारों के हाथ-पांव फूल गए। इन्हें बनाने में 10 साल लगे। 2007 में काम शुरू हुआ और 2017 में पूरा हुआ।
वहीं, जब योगी सरकार 2022 में अपने पांच साल पूरे करेगी,तो सरकार 3 एक्सप्रेसवे बना चुकी होगी। इसमें 340 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, 296 किलोमीटर लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और 91 किलोमीटर लंबा गोरखपुर एक्सप्रेसवे शामिल हैं। इस दौरान राज्य के छठे और सबसे लंबे 594 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेसवे पर काम शुरू होने की संभावना है। गाजीपुर को लखनऊ से जोड़ने वाला पूर्वांचल एक्सप्रेसवे अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी सरकार का प्रोजेक्ट था, जिसने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे का निर्माण भी किया था। पर सपा सरकार के समय ये परियोजना कागज तक ही सीमित रह गई। एक्सप्रेसवे का निर्माण 2018 की तीसरी तिमाही में शुरू हुआ और लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
निर्माण शुरू होने के तीन साल से भी कम समय के बाद, एक्सप्रेसवे का मुख्य कैरिजवे इस साल अप्रैल में यातायात के लिए खोला जा सकता है। मायावती और अखिलेश यादव के विपरीत, योगी आदित्यनाथ केवल एक परियोजना को लेकर सीमित नहीं रह गए हैं। दरअसल, योगी सरकार ,यूपी में देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे नेटवर्क बना रही है। दो और एक्सप्रेसवे 91 किलोमीटर लंबा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और 290 किलोमीटर लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का भी निर्माण कार्य चल रहा है और 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले चालू होने की संभावना है। मायावती सरकार में गंगा एक्सप्रेसवे की परिकल्पना की गई थी, लेकिन पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण उच्च न्यायालय ने इसपर रोक लगा दी थी।
अखिलेश यादव की सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर ध्यान केंद्रित करने के लिए परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल रखा था, जो इटावा और कन्नौज जैसे समाजवादी पार्टी के गढ़ से होकर गुजरता है। इस परियोजना को पिछले साल योगी आदित्यनाथ ने पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करके इस परियोजना को शुरू कराया। गंगा एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू हो चुका है। पांच साल पूरा होने पर एक्सप्रेस वे को लेकर योगी सरकार बड़ी उपलब्धी हासिल करेगी। इतना काम सूबे की क्या देश की कोई राज्य सरकार नहीं की होगी। राज्य के लगभग हर दूसरे जिले में एक एक्सप्रेसवे होगा।
रिसर्च रिपोर्ट में भी योगी आदित्यनाथ सरकार के विकास कार्यों की तारीफ
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च का कहना है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2020-21 के बजट में सड़क और पुलों के लिए अपने खर्च का 6.3 प्रतिशत आवंटित किया है। यह राज्यों द्वारा सड़कों और पुलों के औसत आवंटन 4.2 प्रतिशत से काफी अधिक है। आदित्यनाथ सरकार केंद्र के साथ अन्य महत्वाकांक्षी परियोजनाओं जैसे जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट और यूपी डिफेंस कॉरिडोर पर भी काम कर रही है। जेवर हवाई अड्डे के लिए भूमि अधिग्रहण का पहला चरण पूरा हो चुका है।
यह 2001 में प्रस्तावित होने के बाद से यह ठंडे बस्ते में पड़ा था। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को लेकर स्विट्जरलैंड स्थित ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल के साथ समझौता हुआ है। ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट को 29 हजार 650 करोड़ की लागत से 1334 हेक्टेयर भूमि में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण का ठेका दिया गया है। इस परियोजना के लिए 2020 के बजट में 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। जेवर हवाई अड्डा देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा।
योगी सरकार सूबे में अयोध्या और मथुरा जैसे अन्य तीर्थोंस्थानों को प्रमुख राजस्व उत्पन्न करने वाले पर्यटन केंद्रों के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। सरकार बेहतर कनेक्टिविटी के लिए अयोध्या में मौजूदा हवाई पट्टी को पूर्ण विकसित हवाई अड्डे के रूप में विकसित कर रही है। 2020 के बजट में सरकार ने हवाई अड्डे के निर्माण के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए । 2019 में मौजूदा हवाई पट्टी के चारों ओर विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए 200 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। शहर में 1,200 एकड़ क्षेत्र को ‘स्मार्ट अयोध्या’ के रूप में विकसित किया जाएगा।