हाल ही में Harvard Business Review के फरवरी अंक में एक लेख प्रकाशित हुआ है “Friendship Recession” यानी दोस्ती का घटता चलन, धीरे-धीरे हमारे जीवन में घर कर रहा है।
American Perspectives Survey के अनुसार 1990 से अब तक “कोई करीबी दोस्त नहीं है” कहने वाले अमेरिकी वयस्कों की संख्या चार गुना बढ़कर 12% हो गई है। वहीं “10 या अधिक करीबी दोस्त” रखने वालों की संख्या एक-तिहाई घट गई है। मेरा मानना है कि भारत के शहरी क्षेत्रों में भी यही स्थिति देखने को मिलेगी – जान-पहचान तो बढ़ रही है, लेकिन गहरी दोस्तियां कम होती जा रही हैं।पहले लोग कैफ़े या बार में अजनबियों से सहज बातचीत कर लेते थे। अब लोग अकेले बैठते हैं, भीड़ से कटे हुए। अमेरिका में पिछले दो वर्षों में अकेले भोजन करने वालों की संख्या 29% बढ़ गई है। Stanford University ने तो अब “Design for Healthy Friendships” नामक एक कोर्स शुरू किया है — यह बताता है कि अब दोस्ती भी सीखनी और बनानी पड़ती है।
यह केवल सामाजिक नहीं, सांस्कृतिक संकट है।
अब दोस्ती के लिए समय निकालना विलासिता नहीं, प्राथमिकता बननी चाहिए। अकेलापन अब विकल्प नहीं, आदत बनता जा रहा है। अगर हम सचेत होकर दोस्ती को महत्व नहीं देंगे, तो ना सिर्फ दोस्त बनाना मुश्किल होगा, बल्कि पुराने रिश्ते भी खोते जाएंगे।
धार्मिक आयोजन, क्लब, खेल, और स्वयंसेवी संस्थाएं जो कभी दोस्ती को पनपने देती थीं, अब घट रही हैं। हम अब सोशल मीडिया, पारिवारिक जिम्मेदारियों और पालतू जानवरों तक सिमट गए हैं। हाँ, कुछ दोस्त मिलने नहीं आते क्योंकि उनके पालतू अकेले रह जाते हैं!
आज दोस्ती दिनचर्या का हिस्सा नहीं रही, बस तभी होती है जब बाकी जिम्मेदारियां पूरी हो जाएं।
फिर भी, शोध बताते हैं कि दोस्ती बेहद ज़रूरी है।
Bonnie Ware की किताब “The Top Five Regrets of the Dying” में एक भावुक पंक्ति है:
“काश मैंने अपने दोस्तों से संपर्क बनाए रखा होता…”
शोध के अनुसार:
- सामाजिक अलगाव से हृदय रोग, डिमेंशिया और मृत्यु दर बढ़ती है
- यह 15 सिगरेट रोज़ पीने जितना हानिकारक है
- दोस्ती मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक सेहत को बेहतर बनाती है
- Harvard की 80 साल की स्टडी कहती है कि ज़िंदगी में सबसे बड़ा सुख और स्वास्थ्य का कारण धन या करियर नहीं, बल्कि करीबी रिश्ते हैं
सच्ची दोस्ती एक निवेश की तरह होती है —
माफ़ करो, फोन करो, यादें बनाओ, साथ समय बिताओ।
जैसे मिर्ज़ा ग़ालिब ने कहा है:“दोस्तों के साथ जी लेने का मौका दे दे ऐ खुदा…तेरे साथ तो मरने के बाद भी रह लेंगे…”
दोस्ती निभाइए, समय निकालिए, और सच्चे रिश्तों से जीवन को भरपूर बनाइए।