देशभर में जब स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय तिरंगा शान से लहराता है, तब बहुत कम लोग जानते हैं कि यह राष्ट्रीय ध्वज एक छोटे से कर्नाटक के गाँव बेगनेरी में जन्म लेता है — एक ऐसी जगह जहाँ न मशीनें हैं, न फैक्ट्री की चहल-पहल, सिर्फ चरखा, सूती धागा, और देशभक्ति की भावना।
कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (KKGSS) द्वारा संचालित यह इकाई, भारत की इकलौती BIS प्रमाणित संस्था है जिसे भारतीय ध्वज को बनाने की कानूनी अनुमति प्राप्त है। यह ध्वज पूरी तरह से खादी — हाथ से काता और बुना गया कपड़ा — से बनाया जाता है, जैसा कि भारतीय ध्वज संहिता (Flag Code of India) में अनिवार्य किया गया है।
एक प्रतीक, जिसे श्रम और श्रद्धा से बुनते हैं
यहाँ हर तिरंगे को बेहद सटीकता और समर्पण के साथ तैयार किया जाता है — धागा कातने से लेकर केसरिया, सफेद और हरे रंगों में रंगाई तक, और फिर केंद्र में 24 तीलियों वाला नीले रंग का अशोक चक्र छापने तक, हर प्रक्रिया मैन्युअल होती है।
यह केवल कपड़ा नहीं है — यह संविधान, स्वतंत्रता संग्राम और भारत की आत्मा का प्रतीक है।
एक कारीगर कहती हैं, “हम सिर्फ झंडे नहीं बना रहे, हम भारत की आत्मा को बुन रहे हैं।”
नियम, नाप और निष्ठा
हर ध्वज तय मानकों के अनुसार तैयार किया जाता है — निर्धारित अनुपात, सटीक रंग संयोजन, और खादी कपड़ा। यहाँ हर झंडे की कड़ाई से गुणवत्ता जांच की जाती है। अशोक चक्र की 24 तीलियों की समान दूरी भी मापी जाती है, ताकि झंडा हर मायने में आदर्श हो।
ध्वज उत्पादन में मशीनों का प्रयोग नहीं होता। यह पूरी प्रक्रिया हाथ से की जाती है — धीमी, परंपरागत, और बेहद सावधानी से।
ग्रामीण महिलाएँ, राष्ट्र निर्माण की साक्षी
इस इकाई में काम करने वाले अधिकतर लोग स्थानीय महिलाएँ हैं। उनके लिए यह सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि गौरव का कार्य है। जब उनका बनाया झंडा संसद भवन या स्कूल की छत पर फहराया जाता है, तो उसमें उनकी चुपचाप बुनी गई मेहनत और निष्ठा शामिल होती है।
KKGSS को 2005 में राष्ट्रीय ध्वज निर्माण की मान्यता मिली थी और तब से लेकर आज तक, यही संस्था पूरे देश को अधिकृत भारतीय ध्वज प्रदान करती है।
चुपचाप सेवा, अनसुनी विरासत
भारत का हर राष्ट्रीय झंडा जो गर्व से लहराता है, उसके पीछे बेगनेरी के इस साधारण गाँव की असाधारण कहानी छिपी होती है — एक ऐसा गाँव, जो न तो सुर्खियों में आता है, न ही प्रचार चाहता है। यह केवल सेवा करता है — खामोशी से, लेकिन संपूर्ण श्रद्धा के साथ।
जब अगली बार आप तिरंगे को हवा में लहराते हुए देखें, तो याद रखें — वह सिर्फ एक कपड़ा नहीं है। वह उन कारीगरों की मेहनत, परंपरा, और आत्मा है, जो भारत के असली झंडावाहक हैं।