सपनों को पूरा करने की चाह और मेहनत का जज़्बा हो तो कोई भी मुश्किल राह में रुकावट नहीं बन सकती। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं रोहित कुमार, जिन्होंने आर्थिक तंगी के बावजूद दिन में फुटपाथ पर मोबाइल कवर बेचे और रात में नींद त्यागकर पढ़ाई की। नतीजा – NEET UG 2025 में 549 अंक और ऑल इंडिया रैंक 12,484 हासिल की।
दिन में काम – रात में पढ़ाई
रोहित कुमार की पारिवारिक स्थिति बेहद साधारण थी। पिता स्थानीय सब्ज़ी मंडी में काम करते थे। घर की मदद करने के लिए रोहित अपने बड़े भाई के साथ साकची मार्केट में मोबाइल एक्सेसरीज़ की दुकान चलाते थे।
दिनभर दुकान संभालने के बाद रोहित रात को 3 बजे तक पढ़ाई करते और सुबह 7 बजे फिर दुकान पर लौट जाते।
पहले प्रयास में असफल, दूसरे में कमाल
रोहित ने 2024 में पहली बार NEET दिया था और 485 अंक हासिल किए थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। रणनीति बदली, पढ़ाई का समय और मेहनत दोनों बढ़ाई और 2025 में 549 अंक लाकर सबको चौंका दिया।
संघर्ष बना प्रेरणा
COVID काल में रोहित को मेडिकल स्टोर पर काम करना पड़ा। वहीं से उन्हें डॉक्टर बनने की प्रेरणा मिली। इंटरमीडिएट में फिज़िक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स चुना और टॉप रैंक हासिल की।
रोहित अपने बड़े भाई को अपना रोल मॉडल मानते हैं, जिनकी मदद और प्रोत्साहन से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।
सपनों की उड़ान
रोहित की यह कहानी हर उस छात्र के लिए मिसाल है जो आर्थिक कठिनाइयों या असफलता के कारण हताश हो जाते हैं। उन्होंने साबित किया कि दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।