प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों और आधुनिक पर्यटन रणनीति के संयोजन के रूप में, उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य को वैश्विक स्वास्थ्य और वेलनेस टूरिज्म का केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार की योजना आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) प्रणाली के विस्तार पर आधारित है।
राज्य की यह महत्वाकांक्षा बहुआयामी रणनीति पर आधारित है—जिसमें शैक्षिक और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की स्थापना, पारंपरिक औषधीय ज्ञान का पुनरुद्धार और उत्तर प्रदेश को एक समग्र स्वास्थ्य गंतव्य के रूप में ब्रांडिंग शामिल है—ताकि देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके।
परंपरा से जुड़ा विश्वविद्यालय
इस अभियान का केंद्र बिंदु है महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, जो गोरखपुर में स्थापित किया गया है। यह उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा राज्य-स्तरीय विश्वविद्यालय है जो केवल पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को समर्पित है। अधिकारियों के अनुसार, विश्वविद्यालय में आउटडोर सेवाएं शुरू हो चुकी हैं और जुलाई के पहले सप्ताह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इसके औपचारिक उद्घाटन के बाद शिक्षण सत्र भी आरंभ हो जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कहा, “उत्तर प्रदेश अब केवल धार्मिक पर्यटन का नेतृत्व नहीं कर रहा है, बल्कि वेलनेस टूरिज्म में भी अग्रणी बनने की दिशा में बढ़ रहा है।”
नए कॉलेज, बढ़ता प्रभाव
इस दृष्टिकोण को और मजबूत करने के लिए सरकार दो और संस्थानों की स्थापना कर रही है—अयोध्या में एक आयुर्वेदिक कॉलेज और वाराणसी में एक होम्योपैथिक कॉलेज, जो शीघ्र ही कार्य करना शुरू करेंगे। अधिकारियों का मानना है कि इन संस्थानों से पारंपरिक चिकित्सा में शिक्षा और उपचार की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
यह नेटवर्क न केवल वैश्विक मांग को पूरा करेगा, बल्कि राज्य में रोजगार और अनुसंधान के अवसरों को भी बढ़ावा देगा।
एकीकृत निगरानी, व्यापक सेवाएं
गुणवत्ता और मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने एकीकृत आयुष बोर्ड की स्थापना की है। यह बोर्ड प्रदेश के 2,100 से अधिक आयुर्वेदिक अस्पतालों, 255 यूनानी केंद्रों और 1,585 होम्योपैथिक अस्पतालों के संचालन, लाइसेंसिंग और शिक्षा मानकों का समन्वय करेगा।
सरकार का मानना है कि ये संस्थान केवल उपचार ही नहीं, बल्कि छात्रों, शोधकर्ताओं और वैश्विक चिकित्सकों के लिए ज्ञान केंद्र के रूप में कार्य करेंगे।
परंपरा से आर्थिक रणनीति तक
यह पहल ऐसे समय में आ रही है जब वैश्विक स्तर पर वेलनेस टूरिज्म की मांग तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार, वैश्विक आयुष बाजार 2014 में जहां लगभग $2.85 बिलियन था, वहीं 2024 तक यह $43 बिलियन से अधिक हो गया है। सरकार इसे एक सुनहरा अवसर मान रही है जिसमें पारंपरिक भारतीय ज्ञान को वैश्विक स्वास्थ्य अर्थव्यवस्था में एकीकृत किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्रामीण हर्बल उद्योगों के पुनरुद्धार, परंपरागत ज्ञान के संरक्षण और एक आत्मनिर्भर प्राकृतिक चिकित्सा तंत्र की स्थापना पर जोर दिया।
राज्य का मानना है कि इस रणनीति से उत्तर प्रदेश न केवल धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में बल्कि चिकित्सा पर्यटन में भी वैश्विक मानचित्र पर उभरकर सामने आएगा—जहां लोग अब केवल दर्शन के लिए नहीं, बल्कि उपचार और स्वास्थ्य लाभ के लिए भी आएंगे।