नागपंचमी के पावन अवसर पर उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग परिसर में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट सोमवार की रात ठीक 12 बजे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले गए। यह मंदिर वर्षभर बंद रहता है और केवल एक दिन, नागपंचमी पर, खुलता है — जो इसे विशेष, दिव्य और दुर्लभ बनाता है।
रात्रि 12 बजे जैसे ही कपाट खुले, घंटियों की गूंज और “हर हर महादेव” के जयकारों से महाकाल लोक परिसर गूंज उठा। भक्तों की आंखों में श्रद्धा और चेहरों पर अद्भुत संतोष दिखाई दिया।
नाग देवता की पूजा और शिव परंपरा का संगम
इस मंदिर में विराजित मूर्ति अद्वितीय है — भगवान शिव और माता पार्वती नाग के फन पर विराजमान हैं। उनके साथ नंदी, गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियाँ भी उपस्थित हैं।
माना जाता है कि नागराज तक्षक ने इस स्थान पर भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था। तब शिव ने उन्हें अपने समीप स्थान दिया — लेकिन यह स्थान एकांत में होगा, इसलिए मंदिर साल में केवल एक बार खुलता है।
भक्तों की अपार भीड़, प्रशासनिक व्यवस्था चाक-चौबंद
महाकालेश्वर मंदिर समिति ने दर्शन के लिए विशेष व्यवस्थाएं की थीं — त्रिवेणी द्वार से प्रवेश, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग कतारें, पेयजल, प्रसाद वितरण और सफाई की पुख्ता तैयारी।
प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी मंदिर पहुंचकर दर्शन किए और व्यवस्थाओं की सराहना की। उन्होंने कहा,
“नागपंचमी का यह अवसर सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है।”
सिर्फ 24 घंटे खुलता है मंदिर — अगली नागपंचमी तक रहेगा बंद
श्रद्धालुओं को यह अवसर पूरे साल में केवल एक दिन मिलता है, जब वे नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन कर सर्प दोष, कालसर्प योग, और जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।
दर्शन का यह सिलसिला पूरे 24 घंटे जारी रहता है और मंदिर के कपाट 30 जुलाई की मध्यरात्रि को पुनः बंद कर दिए जाते हैं।
नागपंचमी: प्रकृति, श्रद्धा और परंपरा का महोत्सव
नागपंचमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि मानव और प्रकृति के रिश्ते को सम्मान देने का दिन है। जहां एक ओर नागों की पूजा की जाती है, वहीं शिव की नाग रूप में आराधना यह दर्शाती है कि पर्यावरण, प्राणी और परमेश्वर — सभी एक दूसरे से गहराई से जुड़े हैं।
उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर, इस परंपरा का साक्षात उदाहरण है — जहां आस्था साल में सिर्फ एक दिन परवान चढ़ती है, लेकिन उसका प्रभाव जीवनभर बना रहता है।