रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुकेश अंबानी के बेहद करीबी माने जाने वाले प्रकाश शाह ने अपने कॉर्पोरेट करियर और ₹75 करोड़ रुपये की वार्षिक सैलरी को त्यागते हुए जैन मुनि बनने का फैसला लिया है। उनकी यह आध्यात्मिक यात्रा न केवल कॉर्पोरेट जगत के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक आश्चर्यजनक संदेश है।
एक असाधारण बदलाव
64 वर्षीय प्रकाश शाह ने महावीर जयंती के दिन अपनी पत्नी नैना शाह के साथ औपचारिक रूप से ‘दीक्षा’ ली। इसके साथ ही उन्होंने सांसारिक सुख-सुविधाएं, पद, प्रतिष्ठा और धन का त्याग करते हुए संयम और वैराग्य का मार्ग अपनाया। दीक्षा के बाद से वह अब सफेद वस्त्र पहनते हैं, नंगे पांव चलते हैं, और केवल भिक्षा पर निर्वाह करते हैं।
IIT बॉम्बे से रिलायंस तक का सफर
प्रकाश शाह ने IIT बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ में दशकों तक वरिष्ठ पदों पर कार्य किया, और जामनगर में पेटकोक गैसीफिकेशन जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व किया। उनकी रणनीतिक सोच और नेतृत्व को रिलायंस में उच्च स्तर पर सराहा गया।
लेकिन उनके भीतर एक गहरी खोज थी—आंतरिक शांति और मोक्ष की। इसी खोज ने उन्हें कॉर्पोरेट जगत की चकाचौंध से दूर एक साधु का जीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया।
जीवन का नया अध्याय
दीक्षा लेने के बाद शाह और उनकी पत्नी अब साधु-साध्वी के जीवन का पालन कर रहे हैं। उन्होंने न केवल भौतिक वस्तुएं छोड़ीं, बल्कि निजी संपत्ति और विलासितापूर्ण जीवनशैली को भी पूरी तरह त्याग दिया है।
यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में परिवर्तन लेकर आया है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी प्रेरणा बन रहा है जो आधुनिक जीवन की तेज़ रफ्तार में आध्यात्मिक संतुलन की तलाश में हैं।