- University of South Florida के वैज्ञानिकों की रिसर्च में डायनासोर के मिले पंख
- 30 सितंबर को साइंस डेली में प्रकाशित हुआ पेपर, यानी फिल्मों की कहानी थी रियल
- जुरासिक पार्क और जुरासिक वर्ल्ड में उड़ते डायनासोर की दिखाई गई कहानी हुई सच
- दुनिया में कैसे और कितने देशों में था डायनासोर का आतंक, सबकुछ जानें इस खबर में
जुरासिक पार्क ( Jurassic Park) फिल्म में उड़ते हुए डायनासोर को देखकर आप हैरान हुए होंगे। ये सोच रहे होंगे कि क्या इतने भारी-भरकम डायनसोर वाकई में कभी उड़ते होंगे? क्या वाकई में इनके पंख होते होंगे? डायनासोर के पंख को लेकर दुनिया भर में पिछले सैकड़ों वर्षों से विवाद रहा है। कई रिसर्च सामने आईं लेकिन कभी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई थी कि डायनासोर के पंख होते थे या नहीं। लेकिन आज आपको ये जानकर यकीन करना पड़ेगा कि पृथ्वी पर डायनासोर के पंख होते थे। ये पंख डायनासोर के ही थे और वे हवा में उड़ते भी थे।
यानी ये कह सकते हैं कि फिल्म जुरासिक पार्क और जुरासिक वर्ल्ड में एनिमेशन के जरिए दिखाई गई कल्पना पूरी तरह से सच साबित हुई है। इस हकीकत का दावा हाल में ही यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा (University of South Florida) के वैज्ञानिकों ने किया है। इनकी रिसर्च को हाल में ही दुनिया की फेमस संस्था साइंस डेली ने प्रकाशित किया है ।
30 सितंबर को रिसर्च आई सामने, जानें क्या है इसमें
इसी 30 सितंबर 2020 को साइंस डेली में एक रिसर्च पेपर प्रकाशित किया गया था। इस पेपर के मुख्य लेखक असिस्टेंट प्रोफेसर रयान कार्नी हैं। इनके मुताबिक, नए अध्ययन से इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि अब तक खोजा गया पहला जीवाश्म पंख आइकॉनिक आर्कियोप्टेरिक्स से संबंधित है। ये जीवाश्म जर्मनी में वर्ष 1861 को मिला था। उसकी जांच में अब पुष्टि हो गई है कि ये डायनासोर पहले पक्षी की तरह ही था। इस रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि जीवाश्म के साथ मिले पंख उसी डायनासोर का था। जांच में पंख और जीवाश्म के बीच संबंध मिले हैं। साउथ फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम ने जीवाश्म से मिले पंखो के 9 खास गुणों की स्टडी की। इसके अलावा वहा से मिले कंकाल जीवाश्मों की भी जांच की। इस जांच के बाद नतीजा मिला कि पंख वाला जीवाश्म डायनासोर के ही थे।
159 साल से चले विवाद पर लगा विराम
डायनासोर के पंख होते थे या नहीं…इस सवाल को लेकर पिछले 159 वर्षों से बहस चल रही थी। दरअसल, जर्मनी में जीवाश्म के साथ पंख मिले थे। लेकिन पंख के रंग कुछ अलग होने के दावे किए गए थे। इसलिए पहले ये कहा जाता रहा था कि पंख किसी और जीव के होंगे। रिसर्च में पता चला है कि पंख पूरी तरह से काले रंग के थे। इससे पहले ये दावा किया गया था कि ये पंख काले नहीं बल्कि सफेद थे। इसी बात को लेकर डायनासोर के पंख को लेकर विवाद हो गया था। लेकिन अब इस विवाद को सुलझा लिया गया है।
डायनासोर का इतिहास क्या था, जानें
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Dinosaur डायनासोर के मिले जीवाश्म की जांच से पता चला है कि इन्होंने धरती पर करीब 15 से 16 करोड़ साल तक राज किया होगा। ऐसा डायनासोर को आखिर यही नाम क्यों दिया गया? इसके पीछे भी एक कहानी है। दरअसल, दुनिया भर में अब तक 2 हजार से ज्यादा स्थानों पर डायनासोर के जीवाश्म मिल चुके हैं। इसलिए माना जाता है कि ये दुनिया के हर देश में राज करते थे। वर्ष 1842 में ब्रिटिश जीवाश्म वैज्ञानिक सर रिचर्ड ओवन ने इन जीवाश्म को देखकर डायनासोर का नाम दिया था। दरअसल, डायनासोर प्राचीन ग्रीक भाषा से आया है। इस भाषा में डायनासोर का मतलब खतरनाक छिपकली से है। या भयानक छिपकली भी कह सकते हैं। भारत में भी डायनासोर के काफी जीवाश्म पाए जा चुके हैं। भारत की नर्मदा घाटी में तो मिले एक डायनासोर के जीवाश्म को 7 करोड़ साल पुराना बताया गया है।
डायनासोर का कैसे हुआ अंत, जानें
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इस दुनिया में डायनासोर ने करोड़ों वर्षों तक राज किया। ये कई जगह हवा में उड़ते थे तो कई जगह सिर्फ धरती पर रहकर अपना खौफ दिखाते थे। इनके पानी में रहने के भी प्रमाण मिले हैं। यानी ये भयानक जीव पृथ्वी, हवा और पानी तीनों में अपना राज चलाता था। इनके सामने दूसरे जीव कहीं नहीं ठहर पाते थे। ऐसे में सवाल उठता है कि इनके इतने मजबूत होने के बाद भी आखिर इनका अंत कैसे हो गया। इस बात को लेकर काफी रिसर्च की गई। इसके बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया कि करीब 7 करोड़ साल पहले मैक्सिको के पास एक बड़ा उल्का पिंड टकराया था। जिसके बाद धरती पर सबकुछ नष्ट हो गया था। उसमें डायनासोर भी शामिल थे।