संस्कृति मंत्रालय इस वर्ष 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2025 तक सेवा पर्व 2025 मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकसित भारत 2047 की परिकल्पना से प्रेरित यह आयोजन सेवा, रचनात्मकता और सांस्कृतिक गर्व को जोड़ते हुए एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है।
कला के रंग, सेवा का संग
19 सितम्बर को देशभर में आयोजित कार्यशालाओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने इस पर्व को जीवंत बनाया।
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वडोदरा, गुजरात (आईजीएनसीए, स्वामी विवेकानंद आर्ट गैलरी): 75 कलाकारों की भागीदारी वाली कार्यशाला में पद्मश्री चुननीलाल भाई चितारा ने पारंपरिक माता नी पछेड़ी कला के माध्यम से विकसित भारत के सपने को रंगों में पिरोया।
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प्रयागराज, उत्तर प्रदेश (इलाहाबाद संग्रहालय): 600 से अधिक प्रतिभागियों के बीच आयोजित कार्यशाला में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुधीर नारायण और जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा सहित कई वरिष्ठ गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।
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विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश (आंध्र विश्वविद्यालय): लगभग 300 विद्यार्थियों और कलाकारों ने उपकुलपति प्रो. जी.पी. राजशेखर और प्रो. ए. नरसिम्हा राव के मार्गदर्शन में रचनात्मक अभिव्यक्ति की।
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यादगिरिगुट्टा, तेलंगाना (सालारजंग संग्रहालय नेतृत्व में): 150 स्कूली बच्चों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उपस्थिति में विकसित भारत की अपनी कल्पना चित्रों के माध्यम से व्यक्त की।
डिजिटल भागीदारी
संस्कृति मंत्रालय ने सेवा पर्व पोर्टल (amritkaal.nic.in/sewa-parv.htm) शुरू किया है, जहां संस्थान अपनी गतिविधियाँ अपलोड कर रहे हैं और नागरिक अपनी कला कृतियाँ, फोटो और रचनात्मक अभिव्यक्ति साझा कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर #SewaParv हैशटैग से भागीदारी को और व्यापक बनाने का आह्वान किया गया है।
जनभागीदारी का उत्सव
इन आयोजनों ने दिखाया कि सेवा और कला का संगम केवल सांस्कृतिक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का प्रतीक है। पद्म सम्मान प्राप्त कलाकारों से लेकर स्कूली बच्चों तक, सभी ने मिलकर विकसित भारत @2047 की झलक प्रस्तुत की। यह पर्व दर्शाता है