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एक जिले में जहाँ आधी लड़कियाँ दुल्हन बनती हैं, एक IAS अधिकारी ने 100 से अधिक को बचाया

BharatSpeaksBy BharatSpeaksSeptember 25, 2025No Comments3 Mins Read
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त्रिपुरा के सिपाहीजला ज़िले में, जहाँ हर दो में से एक लड़की की शादी 18 वर्ष से पहले हो जाती है, एक युवा IAS अधिकारी ने हालात बदलने का बीड़ा उठाया है। ज़िला अधिकारी सिद्धार्थ शिव जायसवाल की अगुवाई में शुरू हुआ ‘मिशन संकल्प’ अब तक 100 से अधिक नाबालिग बच्चियों को बाल विवाह से बचा चुका है और 10 गाँवों को “बाल विवाह मुक्त” प्रमाणित कर चुका है।

संकट की तस्वीर: आँकड़ों से आगे की हकीकत

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, सिपाहीजला में 51% लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है और 26% किशोरियाँ माँ बन जाती हैं। जुलाई 2024 में ज़िला अधिकारी के रूप में पदभार संभालने के बाद जायसवाल ने इस समस्या को केवल आँकड़ों के रूप में नहीं, बल्कि जीवन की कहानियों के रूप में देखा—स्कूल छोड़ती लड़कियाँ, अधूरी उम्र में जिम्मेदारियों में धकेली जाती बच्चियाँ।

मिशन संकल्प: रणनीति और ढाँचा

जायसवाल की पहल पाँच स्तंभों पर टिकी है:

  • सोच में बदलाव: गाँवों और स्कूलों में जनजागरूकता, सामुदायिक शपथ, और व्यवहार परिवर्तन अभियानों के जरिए सामाजिक मान्यताओं को चुनौती।
  • स्कूल निगरानी: यदि कोई छात्रा छह दिन से अधिक अनुपस्थित हो, तो प्रशासन तुरंत जाँच करता है। शिक्षकों को संभावित बाल विवाह के संकेत पहचानने का प्रशिक्षण।
  • कानूनी प्रवर्तन: पुलिस और मजिस्ट्रेट को बाल विवाह निषेध अधिनियम और POCSO जैसे कानूनों के उपयोग में प्रशिक्षित किया गया।
  • अवसरों का निर्माण: लड़कियों को स्कूल में बनाए रखने के लिए साइकिल, छात्रवृत्ति, कौशल प्रशिक्षण और रोजगारपरक शिक्षा।
  • प्रेरणा और सम्मान: छह महीने तक शून्य बाल विवाह वाले गाँवों को “बाल विवाह मुक्त” का दर्जा और सक्रिय शिक्षकों-नेताओं को सार्वजनिक सम्मान।

कहानियाँ जो आँकड़ों से परे हैं

“संपा” (बदला हुआ नाम) महज़ 14 वर्ष की थी, जब परिवार ने उसकी शादी एक 32 वर्षीय व्यक्ति से तय कर दी। स्कूल से लगातार अनुपस्थिति ने शिक्षक को संदेहास्पद बनाया। सूचना पर टीम ने तुरंत हस्तक्षेप किया और विवाह शुरू होने से एक दिन पहले ही बच्ची को सुरक्षित निकाल लिया। अब वह एक छात्रावास में रह रही है और पढ़ाई जारी रखे हुए है।

शुरुआती सफलताएँ और आगे की चुनौतियाँ

  • 10 गाँवों को “बाल विवाह मुक्त” प्रमाण पत्र मिल चुका है।
  • दिसंबर 2024 में जहाँ केवल 4 स्वास्थ्य केंद्रों में किशोरी माताओं का आँकड़ा शून्य था, मार्च 2025 तक यह संख्या 11 हो गई।
  • अब तक 100 से अधिक बच्चियाँ बचाई जा चुकी हैं और पुनर्वास, शिक्षा व कानूनी संरक्षण सुनिश्चित हुआ है।

फिर भी चुनौती बनी हुई है—गहरी जड़ें जमाए सामाजिक परंपराएँ, आर्थिक दबाव और कुछ समुदायों में कमजोर क़ानूनी अमल। जायसवाल का लक्ष्य है कि 2027 तक सिपाहीजला पूरी तरह बाल विवाह मुक्त हो, जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) से तीन वर्ष पहले की समयसीमा है।

व्यापक संदेश

मिशन संकल्प यह दिखाता है कि कैसे एक जिला प्रशासन नीतियों, शिक्षा, कानून और सामुदायिक भागीदारी के ज़रिए किसी गहराई से जमी सामाजिक बुराई से लड़ सकता है। यदि यह सफल होता है तो यह मॉडल अन्य राज्यों और ज़िलों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।

जायसवाल कहते हैं, “हर वह लड़की जो बाल विवाह में खो जाती है, वह केवल अपनी ज़िंदगी ही नहीं, बल्कि राष्ट्र के भविष्य की भी एक खोई हुई संभावना है।”

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