उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने कोरोना महामारी के चलते अनाथ व निराश्रित हुए 3817 बच्चों का भविष्य संवारने का फैसला किया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना बनाई गई है। 22 जुलाई को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस योजना की शुरुआत किये। इन बच्चों का लालन-पालन करने वाले अभिभावकों के खाते में चार हजार रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से तीन महीने की धनराशि एक साथ भेजी जाएगी। पेश है योगी सरकार की इस योजना पर विशेष रिपोर्ट:
* उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का शुभारंभ 22 जुलाई को लोकभवन से हुआ। इस आयोजन में राजधानी के 50 अनाथ बच्चे शामिल हुए।
* महामारी के कारण अनाथ हुए 3817 में 333 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने अपने माता व पिता दोनों को खो दिया है। 3484 बच्चों ने अपने माता-पिता में से एक को खोया है।
* योगी सरकार की इस योजना का मूल उद्देश्य कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों की जरूरतों को पूरी करना है। योजना में 18 साल तक के ऐसे बच्चे शामिल होंगे, जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोरोना से हो गयी हो। माता-पिता में से एक की मृत्यु एक मार्च, 2020 से पहले हो गई हो और दूसरे की मृत्यु कोरोना काल में हो गई हो। माता-पिता दोनों की मौत एक मार्च 2020 से पहले हो गई थी और वैध संरक्षक की मृत्यु इस महामारी से हो गई हो।
योजना के तहत क्या लाभ मिलेगा
* 18 साल तक के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में चार हजार रुपये प्रतिमाह भेजे जाएंगे। इसके लिए शर्त है कि बच्चे का दाखिला किसी मान्यता प्राप्त स्कूल में होना चाहिए। समय से टीकाकरण भी होना चाहिए।
* अटल आवासीय विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में उन बच्चों को कक्षा छह से 12 तक की शिक्षा के लिए दाखिला दिलाया जाएगा, जिन्हें बाल गृहों में रखा जा रहा है।
* 11 से 18 साल के बच्चों की कक्षा-12 तक की मुफ्त शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भी प्रवेश कराया सकेगा।
* योजना के तहत चिन्हित बच्चियों के शादी योग्य होने पर विवाह के लिए एक लाख एक हजार रुपये दिए जाएंगे। कक्षा-9 या इससे ऊपर की कक्षा में या व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 साल तक के बच्चों को टैबलेट या लैपटाप उपलब्ध करवाया जाएगा।