युवक-युवतियों की शादी में हो रहे अधिक विलंब के लिए कुंडली मिलान प्रथा भी जिम्मेदार !
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महर्षि च्यवन और महर्षि भृगु की संहिता में साफ लिखा हैं कि कुंडली मिलान में नाड़ी दोष केवल 26 वर्ष 7 माह 3 दिन की उम्र तक माना जाता है इसके बाद नाड़ी दोष नही लगता।
भृकुट दोष सिर्फ 24 वर्ष की आयु तक ही लगता है। मंगल दोष 29 साल 4 महीने 24 दिन की उम्र तक होता है। अगर कन्या की आयु इससे ज्यादा है तो यह दोष स्वतः समाप्त हो चुके होते हैं।
यही 3 के गुण मिलान की खास जरूरत होती हैं और जब हम लोग विवाह ही 30 वर्ष के बाद कर रहे हैं फिर कुंडली की क्या मान्यता रह गई????
इसी वर्ष मार्च महीने में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में ब्राह्मण समाज द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय महायज्ञ का आयोजन हुआ था जिसमें देश – विदेश के विद्वानजन भी पधारें थे। सार्वजानिक मंच से घोषणा हुई कि शादी विवाह में कुंडली मिलान को बंद किया जाए। इसकी वज़ह से युवक -युवतियां की शादियों में अनावश्यक विलंब हो रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि ब्राह्मणों द्वारा प्रचालित यह कुंडली मिलान की प्रथा ब्राह्मण समाज के लिए ही नुकसान दायक बन गया है।
आजकल खूब कुंडली मिलान करके शादी करने के बावजूद भी तलाक हो जा रहें हैं! अतः मेरा भी मत है कि कुंडली मिलान के चक्कर मे न पड़े और वर -वधू की गोत्र, शिक्षा, व्यावहार, संस्कार और आर्थिक स्थिति का आंकलन करके स्वजाति में ही शादी तय करें। कोशिश करें कि हर हालत में बच्चों की शादियाँ समय पर हो जाए।