हरियाणा सरकार ने अवैध गर्भपात पर कड़ी कार्रवाई करते हुए एक सप्ताह में 1,787 मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP) किट्स जब्त की हैं। यह कार्रवाई 20 से 26 मई के बीच राज्य के कई जिलों में एक साथ चलाए गए विशेष निरीक्षण अभियान के तहत हुई है। अभियान का उद्देश्य गैरकानूनी गर्भपात और भ्रूण लिंग चयन को रोकना है, जो ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ मिशन के तहत सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।
इस कार्रवाई के दौरान छह एफआईआर दर्ज की गई हैं और तीन मेडिकल दुकानों को सील किया गया है। इसके अलावा, दो दवा कंपनियों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के तहत नोटिस भी जारी किए गए हैं।
यमुनानगर में सबसे बड़ी बरामदगी
राज्य के ड्रग कंट्रोल विभाग के अनुसार, सबसे बड़ी जब्ती यमुनानगर जिले में हुई, जहां एक वितरक के पास से 1,740 एमटीपी किट्स मिलीं। अन्य जिलों जैसे अंबाला, सोनीपत, झज्जर और रोहतक में भी अवैध रूप से बेची जा रही किट्स जब्त की गईं। अधिकांश मामलों में ये दवाएं बिना डॉक्टर की पर्ची या रजिस्ट्रेशन के बेची जा रही थीं।
एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, “यह सिर्फ कानून का उल्लंघन नहीं है, बल्कि महिलाओं की जान से खिलवाड़ है। अनियमित और बिना निगरानी के इन दवाओं का इस्तेमाल गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करता है।”
नियामक सख्ती और आपूर्ति पर नियंत्रण
राज्य सरकार ने एमटीपी किट की आपूर्ति पर भी नियंत्रण शुरू कर दिया है। पिछले एक महीने में इन दवाओं के अधिकृत थोक विक्रेताओं की संख्या 32 से घटाकर केवल 6 कर दी गई है, जिससे अनियंत्रित वितरण को रोका जा सके।
साथ ही, सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) को निर्देश दिया गया है कि वे सप्ताहिक समीक्षा बैठकें करें, गर्भपात से जुड़े जोखिम वाले मामलों की निगरानी करें, और किसी भी अवैध गतिविधि की रिपोर्ट दें। अब वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों को उनके क्षेत्र में अवैध गर्भपात के मामलों के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
सामुदायिक निगरानी और परामर्श
सरकार ने इस अभियान को समाज तक पहुंचाने के लिए समुदाय आधारित पहल भी शुरू की है। राज्य भर में एक या अधिक बेटियों की मां बनने वाली 50,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं को आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से “सहेली” साथी के रूप में जोड़ा गया है। इन महिलाओं को जागरूकता, परामर्श और सामाजिक सहयोग प्रदान किया जाएगा ताकि भ्रूण लिंग चयन जैसी प्रवृत्तियों को जड़ से रोका जा सके।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “सिर्फ कानून बनाना काफी नहीं है, जब तक हम सामाजिक सोच नहीं बदलते। इसके लिए हमें लोगों से जुड़ना होगा।”
कानूनी ढांचा और आगे की योजना
भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 (2021 में संशोधित) के तहत गर्भपात कुछ खास स्थितियों में और तय सीमा तक वैध है। हालांकि, एमटीपी किट्स की बिक्री और उपयोग पर सख्त नियंत्रण है। कानून का उल्लंघन करने वालों को दो से सात साल तक की सजा हो सकती है।
राज्य सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई सिर्फ एक शुरुआत है। “हम सिर्फ दुकानों पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक ऐसा तंत्र बना रहे हैं जिसमें अवैध गर्भपात की संभावना ही न रहे — न सामाजिक रूप से, न कानूनी रूप से और न आपूर्ति श्रृंखला में,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।