Close Menu
Bharat Speaks
  • Trending
  • Motivation
  • Health
  • Education
  • Development
  • About Us
What's Hot

From Struggles to Stars: The Inspiring Journey of IPS Sandeep Choudhry Who Cracked 12 Government Exams Without Coaching

October 28, 2025

‘Everyone Said No’: Tier-3 College Student Builds Thriving Startup After Multiple Rejections

October 28, 2025

मतदाता सूची का राष्ट्रीय पुनरीक्षण: दूसरा चरण मंगलवार से, 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश होंगे शामिल

October 27, 2025
Facebook X (Twitter) Instagram
Facebook X (Twitter) Instagram
Bharat Speaks
Subscribe
  • Trending
  • Motivation
  • Health
  • Education
  • Development
  • About Us
Bharat Speaks
Home»Health»रसायन चिकित्सा: आयुर्वेद की प्राचीन विधि अब आधुनिक एंटी-एजिंग वैज्ञानिकों की नजर में
Health

रसायन चिकित्सा: आयुर्वेद की प्राचीन विधि अब आधुनिक एंटी-एजिंग वैज्ञानिकों की नजर में

BharatSpeaksBy BharatSpeaksAugust 1, 2025Updated:August 1, 2025No Comments3 Mins Read
Facebook Twitter LinkedIn Telegram WhatsApp Email
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

जब दुनिया उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए हाई-टेक लैब्स और बायोहैकिंग की ओर देख रही है, भारत के आयुर्वेद विशेषज्ञ एक प्राचीन उत्तर की ओर इशारा कर रहे हैं—रसायन चिकित्सा, यानी शरीर, मन और जीवनशक्ति को पुनः जाग्रत करने की आयुर्वेदिक पद्धति।

2,000 वर्षों से अधिक पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णित यह चिकित्सा पद्धति आज वैज्ञानिकों, वेलनेस कंपनियों और आयुष मंत्रालय के शोधकर्ताओं की दिलचस्पी का केंद्र बनती जा रही है।

क्या है रसायन चिकित्सा?

आयुर्वेद में “रसायन” का अर्थ है जीवन के ‘रस’ या सार का पोषण। यह केवल औषधीय हर्ब्स का सेवन नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली है—जिसमें आहार, दिनचर्या, ऋतुचर्या, ध्यान, नैतिक आचरण (आचार रसायन) और शरीर की प्रकृति (प्रकृति) के अनुसार तैयार की गई पद्धतियां शामिल हैं।

रसायन चिकित्सा का उद्देश्य सिर्फ दीर्घायु नहीं, बल्कि स्वस्थ, ऊर्जावान और मानसिक रूप से स्पष्ट जीवन जीना है। इस पद्धति में मुख्य रूप से अम्ला, अश्वगंधा, गुडूची, शिलाजीत, और ब्राह्मी जैसी औषधियों का उपयोग होता है, जिनका वर्णन चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में विस्तार से किया गया है।

“आयुर्वेद में बुढ़ापा कोई बीमारी नहीं, बल्कि प्रबंधन योग्य जीवनचक्र है,” कहते हैं डॉ. मीनल खरे, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर में वरिष्ठ विशेषज्ञ।

आधुनिक विज्ञान की नजर से रसायन

बीते कुछ वर्षों में वैज्ञानिक समुदाय ने इन औषधियों पर गहन शोध शुरू किया है। अम्ला को कोलेजन उत्पादन बढ़ाने और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस घटाने के लिए जाना जा रहा है। अश्वगंधा को मानसिक तनाव, नींद की गुणवत्ता और न्यूरो-हेल्थ पर सकारात्मक प्रभाव के लिए वैश्विक मान्यता मिली है।

CSIR, AIIMS और CCRAS जैसे संस्थान अब इन औषधियों पर क्लीनिकल ट्रायल्स कर रहे हैं। कई रसायन तत्वों में टेलोमीयर शॉर्टनिंग को धीमा करने की क्षमता देखी गई है, जो उम्र बढ़ने का जैविक संकेतक माना जाता है।

“रसायन औषधियों में माइटोकॉन्ड्रियल हेल्थ और कोशिका मरम्मत को प्रभावित करने की क्षमता है,” कहते हैं डॉ. अरविंद मेनन, जो आयुर्वेदिक फार्माकोलॉजी पर काम कर रहे हैं।

बाजार में बढ़ती मांग और चुनौतियां

रसायन चिकित्सा अब केवल ग्रंथों तक सीमित नहीं रही। आयुर्वेद आधारित स्टार्टअप्स और वैश्विक वेलनेस ब्रांड्स रसायन प्रेरित एंटी-एजिंग कैप्सूल, हर्बल टी और स्किन केयर प्रोडक्ट्स पेश कर रहे हैं।

लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि बिना वैज्ञानिक प्रमाण और गुणवत्ता नियंत्रण के इस ज्ञान का व्यावसायिक उपयोग खतरनाक हो सकता है।

“हर रसायन औषधि हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं होती,” कहती हैं डॉ. रुक्मिणी अय्यर, इंटीग्रेटिव मेडिसिन रिसर्चर। “प्राचीन ज्ञान को आधुनिक संदर्भ और अनुसंधान के साथ जोड़ना अनिवार्य है।”

क्या यह भविष्य का हेल्थकेयर है?

जैसे-जैसे वैश्विक स्वास्थ्य उद्योग लंबे जीवन और मानसिक स्पष्टता की खोज में जुटा है, रसायन चिकित्सा एक वैकल्पिक राह दिखाती है—जो शरीर और मन के संतुलन पर आधारित है।

यह पद्धति न तो बुढ़ापे से लड़ती है, न उसे नजरअंदाज करती है—बल्कि उसे समझने, अपनाने और स्वस्थ रूप से जीने का दर्शन प्रस्तुत करती है।

“रसायन चिकित्सा हमें केवल उम्र बढ़ने से नहीं, जीवन जीने की कला सिखाती है,” कहते हैं डॉ. खरे।


📲 Join Our WhatsApp Channel
Algoritha Registration
Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Telegram Email
Previous Articleआयुर्वेद और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मेल: क्या प्राचीन ज्ञान से मिलेगी आधुनिक बीमारियों की दवा?
Next Article Planning to Retire in India? You May Need Rs 3.5 Crore Just to Stay Comfortable
BharatSpeaks

Related Posts

Beyond Breakfast: Why India Must Rethink Its Relationship with Eggs

October 27, 2025

Pancreatic Cancer: The 4 Early Warning Signs You Must Never Ignore

October 26, 2025

Breaking Barriers in Medicine: Gurgaon’s Artemis Hospital Performs Four ABO-Incompatible Liver Transplants in One Month

October 25, 2025
Add A Comment
Leave A Reply Cancel Reply

Top Posts

Subscribe to Updates

Get the latest sports news from SportsSite about soccer, football and tennis.

Welcome to BharatSpeaks.com, where our mission is to keep you informed about the stories that matter the most. At the heart of our platform is a commitment to delivering verified, unbiased news from across India and beyond.

We're social. Connect with us:

Facebook X (Twitter) Instagram YouTube
Top Insights
Get Informed

Subscribe to Updates

Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

© 2025 Bharat Speaks.
  • Trending
  • Motivation
  • Health
  • Education
  • Development
  • About Us

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.