अगस्त 2024 में शुरू किए गए राष्ट्रीय मेडिकल रजिस्टर (एनएमआर) का उद्देश्य देश के सभी एलोपैथिक डॉक्टरों का एक केंद्रीकृत और पारदर्शी डिजिटल डेटाबेस तैयार करना था। लेकिन लॉन्च के लगभग एक साल बाद, इसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं — 13.9 लाख पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों में से केवल 996 का नाम ही इसमें दर्ज है।
सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को अब तक 11,200 आवेदन प्राप्त हुए हैं, लेकिन इनमें से 91 प्रतिशत से अधिक को मंजूरी नहीं मिल पाई है।
स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञों का कहना है कि यह अंतर गंभीर प्रक्रियागत और नौकरशाही अड़चनों को दर्शाता है। एक वरिष्ठ चिकित्सा प्रशासक ने कहा, “अगर लक्ष्य पंजीकृत डॉक्टरों का रिकॉर्ड मानकीकृत और सुव्यवस्थित करना था, तो अब तक का क्रियान्वयन भरोसा नहीं जगा पाया है।”
एनएमआर को इस तरह तैयार किया गया था कि मरीज आसानी से सत्यापित डॉक्टरों तक पहुंच सकें और फर्जी प्रैक्टिस पर रोक लगे। लेकिन नामांकन दर 0.1 प्रतिशत से भी कम होने के कारण यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस प्रणाली की डिजाइन, प्रचार-प्रसार और आवेदन प्रक्रिया पर्याप्त रूप से प्रभावी है।
विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि NMC मंजूरी प्रक्रिया में तेजी नहीं लाता और पंजीकरण को सरल नहीं बनाता, तो यह योजना एक अच्छे इरादे के बावजूद कम उपयोग वाला मंच बनकर रह जाएगी — और उस आधुनिक, सुलभ मेडिकल रजिस्टर का लक्ष्य अधूरा रह जाएगा, जिसके लिए इसे बनाया गया था।