चोट लगने या पुरानी अकड़न से जूझते वक्त अक्सर लोग बर्फ की थैली या गर्म पट्टी की ओर हाथ बढ़ाते हैं। लेकिन सही समय पर गलत उपाय अपनाना राहत देने के बजाय नुकसान भी पहुँचा सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि दर्द और सूजन में कब ठंडी सिकाई फायदेमंद है और कब गर्माहट शरीर को बेहतर राहत देती है।
ठंडी सिकाई कब करें
क्रायोथेरेपी यानी ठंडी सिकाई, अचानक लगी चोट जैसे मोच, खिंचाव या चोटिल हिस्से में सबसे कारगर मानी जाती है। बर्फ से खून की नसें सिकुड़ जाती हैं, जिससे सूजन कम होती है और तेज दर्द सुन्न पड़ने लगता है। इसे एक पतले कपड़े में लपेटकर 10–20 मिनट तक, दिन में कई बार लगाया जा सकता है। सीधे त्वचा पर बर्फ रखने से बचना चाहिए, वरना शीतदंश (फ्रॉस्टबाइट) का खतरा हो सकता है।
गर्म सिकाई कब करें
गर्म सिकाई से खून का प्रवाह तेज होता है और मांसपेशियों की जकड़न व जोड़ों की अकड़न कम होती है। गठिया, पुराना दर्द या मांसपेशियों की कसावट में यह बेहद राहत देती है। हालांकि चोट लगने के तुरंत बाद, सूजन या खुले घाव पर गर्म सिकाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे स्थिति बिगड़ सकती है।
ठंडी और गर्म दोनों का मेल
कभी-कभी दोनों तरीकों को बारी-बारी से इस्तेमाल करना — जिसे ‘कॉन्ट्रास्ट थेरेपी’ कहा जाता है — सबसे असरदार साबित होता है। इससे रक्त प्रवाह बढ़ता है और चोट या व्यायाम के बाद की सूजन जल्दी कम हो सकती है। फिजियोथेरेपी में इस तकनीक का खूब इस्तेमाल होता है।
सावधानियां ज़रूरी हैं
चाहे बर्फ का इस्तेमाल करें या गर्म पानी की थैली का, हर बार सुरक्षा का ध्यान रखना ज़रूरी है। पट्टी को कपड़े में लपेटकर ही लगाएँ, 15–20 मिनट से ज़्यादा समय तक न रखें और त्वचा पर लालपन या जलन के लक्षण दिखें तो तुरंत रोक दें। अगर दर्द या सूजन कुछ दिनों से ज़्यादा बनी रहे, तो डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है।