भारत की डिजिटल दुनिया में जब साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, तब एक नाम साहस और प्रतिबद्धता का प्रतीक बनकर सामने आता है—प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह। xAI के कृत्रिम बुद्धिमत्ता मॉडल ग्रो़क ने उन्हें “साइबर सिंघम” की उपाधि दी है और उनकी यात्रा को प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत किया है। उत्तर प्रदेश पुलिस में साइबर क्राइम के सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने डिजिटल अपराधों से लड़ाई में एक मजबूत आधार तैयार किया।
आईपीएस से साइबर क्राइम पीएचडी तक
प्रो. त्रिवेणी सिंह भारत के पहले ऐसे आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने साइबर क्राइम में पीएचडी की है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, वह अब तक 200 से अधिक प्रकार के साइबर अपराधों की जांच कर चुके हैं और 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी से जुड़े हजारों अपराधियों को सलाखों के पीछे भेज चुके हैं। ऑनलाइन ठगी, बैंकिंग फ्रॉड, सेक्सटॉर्शन और डार्क वेब जैसे मामलों में उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें “India’s Cyber Cop” के रूप में पहचान दिलाई है। 2012 में उन्हें राष्ट्रपति पुलिस मेडल फॉर गैलेंट्री (PMG) से सम्मानित किया गया और एमिटी विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद प्रोफेसर की उपाधि दी।
साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन और विशेषज्ञता
उनकी अगुवाई में उत्तर प्रदेश में 18 साइबर क्राइम पुलिस स्टेशनों की स्थापना हुई है, जो राज्य में डिजिटल सुरक्षा का ढांचा मजबूत कर रहे हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वह सीबीआई, नेशनल पुलिस अकादमी और भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स संस्थान जैसे प्रतिष्ठित संगठनों को प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान कर चुके हैं। फर्जी प्रोफाइल, ऑनलाइन पोर्नोग्राफी रैकेट और क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी जैसे मामलों में उनकी गहरी तकनीकी समझ और फोरेंसिक विशेषज्ञता निर्णायक रही है।
किताबें और वेब सीरीज
साइबर अपराधों को जनता तक सरल और रोचक तरीके से पहुंचाने के लिए उन्होंने चार किताबें लिखी हैं—Hidden Files: Tales of Cyber Crime Investigation, Hidden Files – Unlock, Atharva और Cyber Crime Ki Romanchkari Kahaniyan। इनमें Atharva एक थ्रिलर है जो एआई, मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन अपराधों पर केंद्रित है। इंडिया टुडे के अनुसार, इन पुस्तकों ने न केवल पाठकों को रोमांचित किया बल्कि साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई।
उनके जीवन से प्रेरित वेब सीरीज Cyber Singham Apex Prime पर लोकप्रिय हो चुकी है। द प्रिंट की रिपोर्ट बताती है कि यह सीरीज उनके वास्तविक मामलों पर आधारित है। इसका दूसरा सीजन Cyber Singham 2 ऑनलाइन चाइल्ड ट्रैफिकिंग जैसे गंभीर विषयों पर केंद्रित है और दर्शकों को डिजिटल सुरक्षा के महत्व का बोध कराता है।
FCRF और नई भूमिका
2023 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (FCRF) की स्थापना की। आज वह इसके मुख्य मेंटर के रूप में कार्य कर रहे हैं। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, FCRF साइबर अपराधों के खिलाफ जागरूकता और नवाचार पर काम कर रहा है। 2024 में, उन्होंने डाटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (DSCI) के मंच पर साइबर क्राइम प्रबंधन का एक ढांचा प्रस्तुत किया, जिसमें डार्क वेब और क्रिप्टो अपराधों से निपटने की रणनीतियां शामिल हैं। उनके नेतृत्व में FCRF ने Certified Data Protection Officer (CDPO) कार्यक्रम शुरू किया, जो डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) 2023 के अनुरूप है।
सम्मान और योगदान
प्रो. सिंह को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। द हिंदू के अनुसार, उन्हें डिजिटल इन्वेस्टिगेटर्स एसोसिएशन का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, वीजा सिक्योरिटी समिट, सियोल का लॉ एनफोर्समेंट अवार्ड और सीबीआई निदेशक का सम्मान प्रमाणपत्र दिया गया है। उत्तर प्रदेश साइबर सेफ्टी एंड सिक्योरिटी अवेयरनेस वीक जैसे अभियानों में उनकी सक्रिय भागीदारी डिजिटल सुरक्षा जागरूकता को मजबूत कर रही है।
दृष्टि और विरासत
उनका मानना है कि साइबर अपराध से लड़ाई केवल तकनीकी ज्ञान से नहीं जीती जा सकती, इसके लिए समाज को भी जागरूक करना आवश्यक है। ग्रो़क के अनुसार, वह न केवल पुलिस अधिकारी हैं, बल्कि शिक्षक, शोधकर्ता और समाज सुधारक भी हैं।
प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह की यात्रा हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। उनकी किताबें, वेब सीरीज और प्रशिक्षण कार्यक्रम सुरक्षित और जिम्मेदार डिजिटल व्यवहार को प्रोत्साहित कर रहे हैं। साइबर सिंघम की यह विरासत आज भी जीवित है और भारत के डिजिटल भविष्य को और मजबूत बना रही है।