दुनिया तेजी से एक ऐसे स्वास्थ्य संकट की ओर बढ़ रही है, जिसे अगर अभी नहीं रोका गया, तो इसके परिणाम आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) की ताज़ा Diabetes Atlas (11वां संस्करण) रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक दुनियाभर में डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 90 करोड़ तक पहुंच सकती है। यह आंकड़ा मौजूदा समय की तुलना में बेहद चिंताजनक है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में लगभग 50 करोड़ लोग डायबिटीज के साथ जीवन जी रहे हैं, जो वैश्विक वयस्क आबादी का करीब 11.1 प्रतिशत है। अगर मौजूदा जीवनशैली और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुआ, तो 2050 तक यह संख्या बढ़कर 12.9 प्रतिशत यानी 85 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंच सकती है।
भारत और चीन सबसे ज्यादा प्रभावित
डायबिटीज के वैश्विक बोझ में चीन पहले स्थान पर है, जहां करीब 14.8 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं। इसके बाद भारत दूसरे स्थान पर है, जहां लगभग 9 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। अमेरिका तीसरे और पाकिस्तान चौथे स्थान पर है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक पाकिस्तान तीसरे स्थान पर पहुंच सकता है, जबकि भारत और चीन शीर्ष दो स्थानों पर बने रहेंगे।

शहर बनाम गांव: बढ़ती खाई
रिपोर्ट का एक अहम पहलू यह भी है कि डायबिटीज का प्रसार ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में कहीं अधिक तेजी से हो रहा है। वर्ष 2024 में, करीब 40 करोड़ डायबिटीज मरीज शहरी इलाकों में रह रहे थे, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या 18.9 करोड़ थी। विशेषज्ञों का कहना है कि शहरी जीवनशैली, शारीरिक गतिविधियों की कमी, अस्वस्थ खान-पान और तनाव इसके प्रमुख कारण हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
इंडिया डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ए. रामचंद्रन का कहना है कि “डायबिटीज महामारी इस सदी की शुरुआत से लगातार बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए अब सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि ठोस और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।”
समाधान की राह
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस खतरे को कम करने के लिए:
◆स्वस्थ खानपान
◆नियमित शारीरिक गतिविधि
◆समय पर जांच
◆जागरूकता अभियान
◆मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियां
जैसे उपायों को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो डायबिटीज आने वाले दशकों में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन जाएगी।
