Author: BharatSpeaks
In a world increasingly burdened by insomnia, anxiety, thyroid imbalances, and lifestyle-related diseases, the answer to healing may lie in the wisdom of the past. Ayurveda, India’s 5,000-year-old system of holistic medicine, is making a powerful comeback—not as a nostalgic relic, but as a credible, science-backed response to some of today’s most pressing health challenges. Once dismissed by skeptics as alternative or outdated, Ayurveda is now finding its way into mainstream conversations, clinical studies, and modern routines. And for many, it offers something conventional medicine often misses—personalized, preventive care that treats the root, not just the symptom. From Ancient Scrolls…
भारत सरकार ने देशभर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए एक बहुप्रतीक्षित और व्यापक पहल की है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) के तहत अब तक 767 जिलों में द्वितीयक और तृतीयक स्तर की सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिनमें सामुदायिक केंद्र, डिजिटल प्रशिक्षण, मोबाइल ऐप और टेली-हेल्पलाइन शामिल हैं। लोकसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने इस बारे में विस्तृत जानकारी दी। 767 जिलों तक पहुंचा ‘जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ (DMHP) जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (DMHP) को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से लागू किया…
आधुनिक स्त्री रोग विज्ञान के अस्तित्व में आने से सदियों पहले, भारत के आयुर्वेदाचार्य महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर विस्तृत निर्देश तैयार कर चुके थे। चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, और अष्टांग हृदय जैसे ग्रंथों में मासिक धर्म, प्रजनन क्षमता, गर्भधारण और प्रसव उपरांत देखभाल से जुड़े नियमों का उल्लेख मिलता है। लेकिन जैसे-जैसे भारत पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के मेल की ओर बढ़ रहा है, विशेषज्ञ पूछ रहे हैं: क्या इन प्राचीन अवधारणाओं में अब भी प्रासंगिकता है? और क्या कुछ बातों को समय के साथ चुनौती देना जरूरी हो गया है? मासिक धर्म: विज्ञान और वर्जनाओं के बीच…
भारतीय उपमहाद्वीप में आधुनिक अस्पतालों और चिकित्सा पद्धतियों के आगमन को अक्सर ब्रिटिश शासन से जोड़ा जाता है। लेकिन हालिया शोध और ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के अनुसार, भारत में संगठित चिकित्सा, सर्जरी और जनस्वास्थ्य व्यवस्था ब्रिटिशों के आने से कई शताब्दियों पहले ही मौजूद थी। प्राचीन विश्वविद्यालयों जैसे तक्षशिला (अब पाकिस्तान में) और नालंदा (बिहार में) में न केवल दर्शन, गणित और धर्म का अध्ययन होता था, बल्कि ये संस्थान स्वास्थ्य सेवा, शल्य चिकित्सा (सर्जरी) और नैदानिक प्रशिक्षण (क्लिनिकल ट्रेनिंग) के भी केंद्र थे। सुश्रुत: शल्य चिकित्सा के जनक भारत की इस चिकित्सा परंपरा के केंद्र में हैं सुश्रुत, जिन्हें विश्व…
In a country where the concept of retirement was once synonymous with familial support and modest living, a quiet but critical shift is underway. A new analysis suggests that Indians will now need a retirement corpus of at least Rs 3.5 crore to maintain a comfortable standard of living post-retirement. The figure—outlined in a recent Economic Times report—has startled many. But for financial planners and policy analysts, it only confirms what they’ve been warning for years: retirement in India is becoming alarmingly expensive. The New Economics of Growing Old According to projections, a retired individual would require around Rs 50,000…
जब दुनिया उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए हाई-टेक लैब्स और बायोहैकिंग की ओर देख रही है, भारत के आयुर्वेद विशेषज्ञ एक प्राचीन उत्तर की ओर इशारा कर रहे हैं—रसायन चिकित्सा, यानी शरीर, मन और जीवनशक्ति को पुनः जाग्रत करने की आयुर्वेदिक पद्धति। 2,000 वर्षों से अधिक पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णित यह चिकित्सा पद्धति आज वैज्ञानिकों, वेलनेस कंपनियों और आयुष मंत्रालय के शोधकर्ताओं की दिलचस्पी का केंद्र बनती जा रही है। क्या है रसायन चिकित्सा? आयुर्वेद में “रसायन” का अर्थ है जीवन के ‘रस’ या सार का पोषण। यह केवल औषधीय हर्ब्स का सेवन नहीं, बल्कि…