सेवाकाल के दौरान दिवंगत हुए सरकारी कर्मचारी की विवाहित पुत्री भी अब अनुकंपा आधारित नियुक्ति के लिए योग्य मानी जाएगी और इसके लिए आवेदन कर सकेगी। अभी तक उन्हें यह सुविधा नहीं मिलती थी। इसके लिए योगी सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली’ में बारहवें संशोधन को मंजूरी देते हुए मृतक कर्मचारी के कुटुंब की परिभाषा में विवाहित पुत्री को भी शामिल करने का फैसला किया है।
कार्मिक विभाग के इस प्रस्ताव को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई है। कुटुंब की परिभाषा में अभी तक कर्मचारी के पति/पत्नी, अविवाहित पुत्र व पुत्री, विवाहित पुत्र शामिल थे। अविवाहित पुत्री इसमें शामिल नहीं थीं। हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए विवाहित पुत्री को कुटुंब की परिभाषा में शामिल करने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने भी अपनी नियमावली में विवाहित पुत्री को कुटुंब की परिभाषा में शामिल कर लिया है।
अब राज्य सरकार ने विवाहित पुत्री को कुटुंब की परिभाषा में शामिल करने का फैसला किया है।
हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि मृतक की पत्नी, विवाहित/अविवाहित पुत्र और अविवाहित पुत्री के बाद ही विवाहित पुत्री को नौकरी देने पर विचार किया जाएगा। अगर परिवार के अन्य सदस्य सरकारी नौकरी करने से मना करते हैं तो भी उसे नौकरी मिल सकती है।
यह प्रस्ताव मृत सरकारी सेवक नियम 2021 में 12वें संशोधन के रूप में पेश किया गया था।
इस साल की शुरुआत में, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि विवाहित बेटियों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के नियमों में ‘परिवार’ की परिभाषा से बाहर करना ‘असंवैधानिक’ और संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। जनवरी में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि एक विवाहित बेटी अपने विवाहित भाई या अविवाहित बहन की तुलना में अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी के लिए ‘कम योग्य नहीं’ हो सकती।
पाकिस्तान से यूपी आए 63 हिंदू बंगाली परिवारों को योगी सरकार देगी जमीन
योगी कैबिनेट ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया। उत्तर प्रदेश सरकार 1970 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से उत्तर प्रदेश आए 63 हिंदू बंगाली परिवारों का नए सिरे से पुनर्वास करेगी। उन्हें खेती के लिए दो-दो एकड़ और घर बनाने को 200 वर्ग मीटर जमीन कानपुर देहात में दी जाएगी। मकान बनाने के लिए मुख्यमंत्री आवास योजना से 1.20 लाख रुपये भी दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने बुधवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्रदेश में वर्ष 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से 65 बंगाली परिवार उत्तर प्रदेश आए थे। इन्हें रोजगार देकर मदन कपास मिल हस्तिनापुर मेरठ में पुनर्वास किया गया था। यह मिल आठ अगस्त, 1984 को बंद हो गई थी। इसके चलते हिंदू बंगाली परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। चूंकि दो परिवारों के सदस्यों की मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में 63 परिवार पिछले 30 साल से पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे थे। सरकार ने इनके लिए कानपुर देहात में 121.41 हेक्टेयर भूमि पर पुनर्वास की योजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है।