लखनऊ : उत्तर प्रदेश विकास कार्यों के साथ अब खेल में भी उत्तम बनेगा। यूपी के खिलाड़ी देश-दुनिया में अपनी प्रतिभा दिखा सकेंगे। इसके लिए राज्य के होनहार खिलाड़ियों को निखरने का मौका मिलेगा। ये मौका स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी में मिलेगा। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरठ में ‘द उत्तर प्रदेश स्टेट स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी’ की स्थापना के लिए हरी झण्डी दे दी है। पिछले दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी गई। बता दें कि यूपी में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी शुरू करने को लेकर कई महीने से तैयारी चल रही थी। हालांकि, इस यूनिवर्सिटी को पहले लखनऊ में खोलने की तैयारी थी। लेकिन बाद में इसे मेरठ में स्थापित करने का फैसला लिया गया।
क्यों जरूरी है स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, जानिए
खेल विशेषज्ञ व टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप के पत्रकार वीरेंद्र शर्मा बतातें हैं प्रदेश में प्रतिभा की कमी नहीं है। लेकिन सही समय पर सही ट्रेनिंग की कमी है। इसके अलावा खिलाड़ियों में फिटनेस की कमी होती है। इसलिए इंटरनैशनल स्तर पर हमारे प्रतिभावान खिलाड़ी भी हार जात हैं। लेकिन शुरुआत से ही खिलाड़ियों को ट्रेनिंग मिलेगी। उन्हें फिटनेस की सही जानकारी मिलेगी। शुरुआत से ही इंटरनेशनल मानकों पर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग और प्रैक्टिस मिलेगी तो ये ओलिंपिक में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे। योगी आदित्यनाथ सरकार की ये पहल काफी सराहनीय है।
अभी हरियाणा में ही हैं बेहतर खिलाड़ी, अब यूपी में संवरेंगे सितारे
स्पोर्ट्स एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अभी देश में हरियाणा ही ऐसा राज्य है जहां हर जिले में काफी प्रतिभावान खिलाड़ी हैं। ये खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर काफी बेहतर प्रदर्शन करते हैं। लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में शूटिंग और पहलवानी में उत्तर प्रदेश के खिलाड़ी उभरें हैं उससे ये साफ है कि यहां के खिलाड़ियों को शुरू से बेहतर माहौल मिले तो इन्हें संवारा जा सकेगा। क्योंकि अभी खिलाड़ियों का खान-पान क्या हो, अपना फिटनेस कैसे रखना है। इसकी सही जानकारी नहीं मिलती है। ऐसे में बेहतर कोच मिलने से खिलाड़ी यूपी को अलग ही पहचान दिलाएंगे।
क्या खास है यूपी के स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी विधेयक में
यूपी में पास हुए विधेयक के मुताबिक राज्यपाल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति होंगे। वहीं कुलपति इस स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी का दूसरा सर्वोच्च पद होगा। कुलपति के बारे में विधेयक में गाइडलाइन है कि उनका शिक्षाविद् होना जरूरी होगा। इसके साथ ही प्रशासनिक अनुभव होना, शारीरिक शिक्षाविद् या उत्कृष्ट खिलाड़ी होना भी अनिवार्य है। डाक्टरेट की डिग्री हो और उम्र 62 साल निर्धारित की जाएगी। इनका कार्यकाल तीन साल निश्चित किया जाएगा। इस यूनिवर्सिटी में डायरेक्टर और डीन्स भी होंगे।