लंबे समय तक यह माना जाता रहा कि उच्च कोलेस्ट्रॉल केवल मध्यम या बुजुर्ग आयु वर्ग की समस्या है। लेकिन बदलती जीवनशैली, अनियमित खान-पान और आनुवंशिक कारणों ने इसे युवाओं के बीच भी एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य चुनौती बना दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की हालिया रिपोर्ट बताती है कि यह “मौन खतरा” अक्सर बिना किसी स्पष्ट चेतावनी के सामने आता है, लेकिन कुछ शुरुआती संकेतों को पहचानकर बड़े जोखिमों से बचा जा सकता है।
पाँच प्रमुख चेतावनी संकेत
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पलकों के पास पीले धब्बे (Xanthelasma): आंखों के आसपास छोटे पीले वसायुक्त धब्बे बनना कोलेस्ट्रॉल असंतुलन का संकेत हो सकता है।
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शारीरिक गतिविधि के दौरान छाती में दर्द: धमनियों में प्लाक जमने से रक्त प्रवाह रुक सकता है और यह दर्द के रूप में सामने आता है।
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त्वचा पर वसायुक्त उभार (Xanthomas): त्वचा या टेंडन पर छोटे-छोटे फैटी नोड्यूल बनना उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्पष्ट लक्षण माना जाता है।
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चलते समय मांसपेशियों में ऐंठन: पैरों में बार-बार क्रैम्प आना धमनियों में ब्लॉकेज की ओर इशारा कर सकता है।
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परिवार का इतिहास: यदि परिवार में पहले से हृदय रोग या उच्च कोलेस्ट्रॉल रहा है तो युवा उम्र में भी जोखिम अधिक होता है।
विशेषज्ञों की राय
हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित जांच, जैसे—कोलेस्ट्रॉल प्रोफाइल, ईसीजी और इको टेस्ट—युवाओं के लिए भी ज़रूरी हैं। बाहरी रूप से फिट दिखने वाले कई युवाओं में भी ब्लॉकेज या उच्च कोलेस्ट्रॉल पाया गया है। यही वजह है कि शुरुआती स्क्रीनिंग और समय पर परामर्श लेना हृदय रोगों की रोकथाम में अहम है।
उच्च कोलेस्ट्रॉल को अक्सर “साइलेंट किलर” कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण देर से सामने आते हैं। युवाओं में इसकी बढ़ती मौजूदगी चिंता का विषय है। यदि समय रहते पलकों पर पीले धब्बे, असामान्य छाती दर्द या परिवार में हृदय रोग का इतिहास जैसे संकेत दिखें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। जागरूकता और सतर्कता ही इस खतरे से बचाव का सबसे कारगर उपाय है।