हिप ऑस्टियोपोरोसिस से जूझ रहे लोगों के लिए साइक्लिंग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि राहत का जरिया बन सकती है। जो गतिविधि पहले केवल कार्डियो एक्सरसाइज़ के रूप में देखी जाती थी, अब डॉक्टर इसे जोड़ो की गतिशीलता और मांसपेशियों की मजबूती बढ़ाने के प्रभावी साधन के रूप में पहचान रहे हैं।
लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि सिर्फ साइक्लिंग ही पर्याप्त नहीं है। हड्डियों की मजबूती के लिए — खासकर कूल्हे जैसे भार सहन करने वाले अंगों के लिए — वजन उठाने वाले व्यायाम (वेट-बेयरिंग एक्सरसाइज़) और प्रतिरोध आधारित ट्रेनिंग (रेज़िस्टेंस ट्रेनिंग) भी जरूरी हैं।
साइक्लिंग से जोड़ों को आराम, गति को बढ़ावा
साइक्लिंग का सबसे बड़ा फायदा है — कम दबाव में अधिक गति। यह घुटनों और कूल्हों पर झटका डाले बिना हिप जॉइंट की पूरी रेंज में मूवमेंट को बढ़ावा देती है।
“साइक्लिंग कूल्हों की गतिशीलता को बनाए रखती है, पोस्चर को सुधारती है और कूल्हे की सहायक मांसपेशियों को मजबूत करती है,” बताती हैं डॉ. रेनू मिश्रा, बैंगलोर स्थित एक ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ। “यह बुज़ुर्गों के लिए खासकर एक सुरक्षित और सहज व्यायाम है।”
साथ ही यह रक्त प्रवाह (सर्कुलेशन) और न्यूरो-मस्कुलर कोऑर्डिनेशन को बेहतर बनाती है, जो गिरने से बचाव और रोज़मर्रा के कार्यों को आसान बनाने में सहायक है।
लेकिन हड्डियों को चाहिए भार
हालांकि साइक्लिंग मांसपेशियों और जोड़ों के लिए फायदेमंद है, लेकिन यह हड्डियों पर वह दबाव नहीं डालती जो हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक होता है।
“ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियों की घनता (बोन डेंसिटी) कम हो जाती है, और इसे सुधारने के लिए हड्डियों पर वजन डालना जरूरी होता है,” डॉ. मिश्रा कहती हैं। “इसके लिए सीढ़ियाँ चढ़ना, हल्का वेट ट्रेनिंग या ज़मीन पर चलना ज्यादा प्रभावी होता है।”
अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि वेट-बेयरिंग और रेजिस्टेंस व्यायाम हड्डियों को मजबूत करने और फ्रैक्चर के जोखिम को कम करने में अधिक कारगर हैं।
संतुलित एक्सरसाइज़ का फॉर्मूला
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस के लिए एक संयमित व्यायाम योजना अपनाई जाए, जिसमें शामिल हो:
- साइक्लिंग या तैराकी जैसे लो-इंपैक्ट व्यायाम
- सप्ताह में 2-3 बार रेजिस्टेंस ट्रेनिंग
- वॉकिंग, हाइकिंग या डांसिंग जैसे वजन डालने वाले व्यायाम
- योग या ताई ची जैसे संतुलन और लचीलापन बढ़ाने वाले अभ्यास
सावधानी और समझदारी के साथ आगे बढ़ें
साइक्लिंग अकेले हड्डियों को मजबूत नहीं बना सकती, लेकिन यह एक सुरक्षित और सरल शुरुआत जरूर हो सकती है — खासकर उनके लिए जिनके जोड़ कमजोर हैं या जिन्हें पहले से फ्रैक्चर हो चुका है।
“गति मायने रखती है, ज़रूरी नहीं कि वह तेज़ हो,” डॉ. मिश्रा कहती हैं। “अगर साइक्लिंग को सही तरीके से वेट-बेयरिंग एक्सरसाइज़ के साथ जोड़ा जाए, तो यह हिप ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों की गतिशीलता और आत्मनिर्भरता को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद कर सकती है।”
हिप ऑस्टियोपोरोसिस से राहत के लिए साइक्लिंग एक सहायक विकल्प हो सकता है, लेकिन अकेले उस पर निर्भर रहना ठीक नहीं। हड्डियों की मजबूती के लिए वेट-बेयरिंग और रेजिस्टेंस व्यायाम को भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना ज़रूरी है। सही मार्गदर्शन और संतुलित एक्सरसाइज़ प्लान से दीर्घकालिक लाभ संभव हैं।