लखनऊ : पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर जल्द ही गाड़ियां फर्राटा भरती नजर आएंगी। इसका निर्माण कार्य मार्च तक पूरा हो जाएगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अप्रैल में इसका उद्घाटन करेंगे। के निर्माण कार्यों के निरीक्षण के लिए पूर्वांचल के गाजीपुर और आजमगढ़ समेत संबंधित जिलों के दौरे पर निकले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी जानकारी दी है। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस एक्सप्रेस वे के बन जाने के बाद गाजीपुर के लोग तीन घंटे में लखनऊ और 10 घंटे में दिल्ली पहुंच सकेंगे। कोरोना महामारी के बावजूद तीन साल की समय सीमा के अंदर ही यह जनता को समर्पित किया जा रहा है। बता दें कि सीएम योगी का यह ड्रीम प्रोजक्ट है।
अब जानते हैं पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के बारे में
- लखनऊ के चांदसराय से शुरू होकर गाजीपुर जिले में हैदरिया तक 341 किलोमीटर लंबे छह-लेन वाले इस एक्सप्रेसवे का विकास इंजीनियरिंग, प्रोक्यूरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (EPC) के आधार पर किया जा रहा है। भविष्य में इसका विस्तार आठ लेन तक हो सकता है। इस प्रोजेक्ट को बनाने में कुल 22,494.66 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
- जुलाई 2018 में यह फ्लैगशिप प्रोजेक्ट आठ हिस्सों में शुरू हुआ। पांच कंपनियों जीआर इंफ्रां ओरिएंट स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग, गायत्री प्रोजेक्ट्स, पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड और एप्को इंफ्रा को ठेका दिया गया है
- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौ कृषि जिलों को सीधे लखनऊ से जोड़ेगा। यही नहीं ये जिले इसके माध्यम से 302 किमी लंबे आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे और 165 किमी आगरा ग्रेटर नोएडा यमुना एक्सप्रेसवे के जरिए जुड़ेंगे
- यह एक्सप्रेसवे अलग-अलग मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और एग्रीकल्चर सेंटर की तरह काम करेगा।
- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे राज्य के अधिकांश पिछड़े जिलों से होकर गुजरेगा। इसमें आजमगढ़, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, गाजीपुर और मऊ शामिल हैं।
- ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे इनको विकसित क्षेत्र बनाने में मदद करेगा। इससे पूर्वांचल क्षेत्र के सामानों का बड़े बाजारों में परिवहन आसान होगा और धन और समय के लिहाज से भी किफायती साबित होगा।
- राज्य में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाने के साथ, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे कृषि, औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा।
- यह भी कहा जा रहा है कि एक्सप्रेसवे खाद्य प्रसंस्करण, वेयरहाउसिंग, हैंडलूम के साथ-साथ डेयरी क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करेगा, जिससे क्षेत्र और राज्य का विकास होगा। इससे समय की बचत, प्रदूषण स्तर में नियंत्रण, ईंधन की बचत, दुर्घटनाओं में कमी लाने में भी मदद मिलेगी।