हल्दी और ग्रीन टी, जिन्हें लंबे समय से स्वास्थ्यवर्धक माना जाता रहा है, अब सप्लीमेंट के रूप में लिवर को नुकसान पहुंचाने के मामलों से जुड़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना चिकित्सकीय सलाह इनका अत्यधिक सेवन गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है।
खानपान से दवा बनने तक का सफर
रसोई में मसाले के रूप में हल्दी सुरक्षित है, लेकिन जब इसे उच्च सांद्रता वाले सप्लीमेंट में बदल दिया जाता है—अक्सर बायोअवैलेबिलिटी बढ़ाने वाले यौगिकों के साथ—तो इसके प्रभाव अलग हो सकते हैं। अमेरिका में Drug-Induced Liver Injury Network ने हल्दी सप्लीमेंट से लिवर को नुकसान के दस मामले दर्ज किए, जिनमें एक जानलेवा था। वैज्ञानिकों ने पाया कि HLA-B35:01* जीन वाले लोग इसके प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हो सकते हैं।
ग्रीन टी: पत्तियों से पाउडर तक
ग्रीन टी को स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इसके अर्क—विशेषकर EGCG—की अधिक खुराक लिवर के लिए हानिकारक साबित हो रही है। यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण ने चेतावनी दी है कि 800 मिलीग्राम से अधिक EGCG प्रति दिन लेने से लिवर को नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। कई अध्ययनों में ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट का संबंध ड्रग-इंड्यूस्ड लिवर इंजरी के मामलों से जोड़ा गया है।
नियमन की कमी और स्वास्थ्य का जोखिम
हर्बल सप्लीमेंट्स के बाजार में तेज़ी से वृद्धि के बावजूद, इन पर अक्सर वही कड़े नियम लागू नहीं होते जो दवाओं पर होते हैं। इससे सामग्री, गुणवत्ता और खुराक में भारी असमानता पाई जाती है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि लोग इन्हें “प्राकृतिक” मानकर बिना डॉक्टर से पूछे उपयोग करते हैं, जबकि वास्तविकता में ये शरीर पर गहरा असर डाल सकते हैं।
डॉ. सुधीप खन्ना, वरिष्ठ गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, कहते हैं, “इनमें न तो मानकीकरण है, न ही नियामक की सख्त निगरानी—इसलिए इनमें मौजूद घटकों की सटीक मात्रा और असर का भरोसा नहीं किया जा सकता।”