लखनऊ : कहते हैं कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ्य मस्तिष्क का वास होता है। स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ माहौल का होना बेहद जरूरी है। ऐसे में जब स्कूल ही स्वस्थ नहीं रहेंगे तो वहां की पढ़ाई कैसे बेहतर हो सकती है। इसीलिए यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार ने ऑपरेशन काया कल्प के जरिए प्रदेश के सरकारी स्कूलों ना सिर्फ सूरत बदली है बल्कि वहां का माहौल भी स्वस्थ बनाया है। जिसमें बच्चों को बेहतर माहौल मिल सके और बेहतर पढ़ाई कर सके। यानी अब सही मायनों में स्वस्थ रहेंगे बच्चे, तभी तो पढ़कर आगे बढ़ेंगे हमारे यूपी के बच्चे। ऑपरेशन कायाकल्प के जरिए स्कूलों में रंग-रोगन से लेकर मूलभूत सुविधाओं को बेहतर किया गया है। इसके अलावा स्कूलों को हरा-भरा किया जा रहा है ताकी वहां के पर्यावरण को भी स्वच्छ रखा जा सके। साथ ही बच्चों के खेलने के लिए मैदान भी तैयार किए गए हैं। जिसमें खेलकर खुद के स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकें।
प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देने लगे हैं यूपी के सरकारी स्कूल
आप इन तस्वीरों को देखिए। क्या इन्हें देखकर ये लगा कि ये कोई सरकारी स्कूल हैं। नहीं ना। दरअसल, ऑपरेशन कायाकल्प से इन सरकारी स्कूलों का हुलिया ही बदल गया है। अब यूपी के सरकारी स्कूल अब अच्छे और नामी प्राइवेट स्कूलों को भी टक्कर देने लगे हैं। क्योंकि सरकारी स्कूलों की सिर्फ कायाकल्प ही नहीं बल्कि यहां के माहौल, इंटीरियर डेकोरेशन और भी कई बदलाव किए गए हैं। इसमें स्कूलों में ब्लैक-बोर्ड, बदहाल बिल्डिग की मरम्मत, फर्नीचर, सुंदरीकरण के कार्य किए गए हैं।
इतना ही नहीं, स्कूलों में अतिरिक्त कक्षों का निर्माण, बाउंड्रीवाल, गेट, क्रियाशील शौचालय, छात्र-छात्राओं के लिए उनकी संख्या के अनुरूप अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं। इसके अलावा स्कूलों को स्मार्ट बनाने के लिए रनिंग वॉटर की व्यवस्था, सबमर्सिबल पंप, इंटरलॉकिग टाइल्स, किचन, क्लासरूम और बाथरूम में टाइल्स लगाई गई हैं।
अब बच्चों को अच्छे लगने लगे सरकारी स्कूल
बिजनौर हो या गोरखपुर या किसी जिले के ऐसे सरकारी स्कूल जिनका कायाकल्प हो चुका है वहां के स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों में खुशी का माहौल है। अब ये छात्र अपने स्कूल को काफी पसंद करने लगे हैं। बरेली के एक छात्र अंशुल ने बताया कि पहले उसे स्कूल में आने का मन नहीं करता था। क्योंकि उसे स्कूल पसंद नहीं आता था। वहां गंदगी रहती थी। लेकिन पिछले दिनों घूमते हुए जब वो स्कूल पहुंचा तो उसे देखकर वह चौंक गया। पहले तो स्कूल को पहचान ही नहीं पाया। जब उसे पता चल गया कि ये वो ही स्कूल है जिसमें मैं पढ़ता था। तब जाकर उसे भरोसा हुआ। अंशुल ने बताया कि पहले तो उस स्कूल आने का मन नहीं करता था लेकिन अब एक बार स्कूल आ जाए तो यकीन मानिए उसे फिर घर लौटने का मन नहीं करेगा।