लखनऊ : अब अपना उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य की दिशा में एक बड़ी पहल कर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश 2025 से पहले टीबी मुक्त हो जाएगा। ये बातें उन्होंने विश्व क्षय रोग दिवस पर कमलापुर के विद्याज्ञान स्कूल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2030 तक दुनिया को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। हालांकि, हमारे प्रधानमंत्री ने 2025 तक ही भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। पीएम मोदी के संकल्प के अनुसार ही उत्तर प्रदेश ने ऐसी तैयारी की है जिससे निर्धारित समय यानी 2025 से पहले ही हमारा प्रदेश टीबी मुक्त हो जाएगा।
पूरे प्रदेश में विश्व स्तरीय निगरानी टीम से मिलेगी सफलता
क्षय रोग से मुक्ति हेतु संकल्पित है 'नए भारत का नया उत्तर प्रदेश'… https://t.co/mb7Uffed6e
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 24, 2021
सीएम ने कहा कि प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के लिए हर किसी को जागरूक होने की जरूरत है। इसके लिए उत्तर प्रदेश के जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही पूरे समाज को एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वैसे तो बेहतर तरीके से निगरानी की जा रही है लेकिन इसके साथ ही सभी लोग भी एक-एक टीबी रोगी की जिम्मेदारी लें और बस इतनी निगरानी करें कि रोगी समय से दवा ले रहा है या नहीं। उसे सरकारी मदद मिल रही है या नहीं? सरकारी मदद मिलने में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है। ऐसा करने से समय से पहले लक्ष्य प्राप्ति कर लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया में क्षय रोग दिवस पर टीबी से ग्रसित नागरिकों को इससे मुक्त करने के अभियान का दिवस है।
राज्य में सामूहिक प्रयास से हर बीमारी पर पाते रहे हैं सफलता
.@WHO ने वर्ष 2030 तक विश्व को टी.बी. मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसी कड़ी में, आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी ने वर्ष 2025 तक भारत को 'क्षय रोग मुक्त' बनाने का संकल्प हम लोगों के सामने रखा है।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु हमें सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 24, 2021
जिस तरह से पोलियो के खिलाफ अभियान चलाकर सफलता मिली है उसी तरह से सामूहिक प्रयास से टीबी के साथ दूसरी बीमारियों को भी दूर करने में हमें सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि 1882 में पहली बार इसके विषाणु की पहचान हुई थी, लेकिन इतने वर्षों के बाद भी दुनिया को इससे मुक्त नहीं किया जा सका। समय-समय पर लक्ष्य रखा गया। अब उत्तर प्रदेश में मरीजों की संख्या कम हुई है। व्यक्ति की नियमित व संयमित दिनचर्या कई बीमारियों से मुक्त कर सकती है। आज करोनो से लड़ाई में भी एकजुटता काम आई है। इसी तरह से हम सामूहिक रूप से अभियान चलाएं तो परिणाम सकारात्मक आता ही है।
उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित 38 जिले इंसेफलाइटिस से ग्रस्त थे। इस बीमारी से पहले प्रति वर्ष हजारों मौतें होती थीं, बच्चे अस्पताल भी न जा पाते थे। लेकिन 2017 से हमने अभियान चलाया, जिसका परिणाम ये रहा कि 75 फीसद बीमारी पर नियंत्रण पाने सफलता प्राप्त की और मौत पर 95 फीसद सफलता प्राप्त की। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम किसी एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, पुलिस ग्राम्य विकास, शिक्षा आदि सभी विभागों को सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा। टीबी के खिलाफ हमें सचेत होना पड़ेगा, जागरूक होना पड़ेगा।
इस दौरान टीबी उन्मूलन की दिशा में बेहतर काम करने के लिए मुख्यमंत्री ने पांच जिलों के जिला क्षय रोग अधिकारियों को सम्मनित किया। इनमें रामपुर के प्रदीप वार्ष्णेय, सोनभद्र के विनोद अग्रवाल, उन्नाव से नरेंद्र सिंह, चंदौली से दीनानाथ मिश्र व महराजगंज के विवेक श्रीवास्तव को सम्मान पत्र दिया।