उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि राज्य के 17 जिलों में अन्नपूर्णा कैंटीन खोली जाएंगी, जहाँ गरीब, मजदूर और बेघर लोगों को स्वच्छ और पौष्टिक भोजन कम दरों पर उपलब्ध होगा। यह योजना महंगाई और खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे कमजोर वर्गों के लिए राहत का साधन बन सकती है।
योजना की रूपरेखा और लक्ष्य
सरकार का उद्देश्य है कि कोई भी गरीब या मजदूर भूखा न रहे। अन्नपूर्णा कैंटीन में दाल, चावल, रोटी, सब्जी जैसे बुनियादी और संतुलित भोजन को न्यूनतम कीमत पर उपलब्ध कराया जाएगा। विशेष रूप से दिहाड़ी मजदूर, प्रवासी श्रमिक और शहरी गरीब इस योजना के मुख्य लाभार्थी होंगे। इसके लिए 17 जिलों का चयन किया गया है, जहाँ कुपोषण और गरीबी दर अपेक्षाकृत अधिक है।
प्रशासनिक तैयारी और बजट प्रावधान
कैंटीनें बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों, अस्पतालों और प्रमुख बाजारों के आसपास स्थापित की जाएंगी ताकि ज़रूरतमंद लोगों की पहुँच आसान हो। स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदारी दी गई है कि कैंटीनों में स्वच्छता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। राज्य बजट में इस योजना के लिए अलग धनराशि का प्रावधान किया गया है, जिससे भवन, उपकरण, खाद्यान्न आपूर्ति और स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। निगरानी के लिए नियमित निरीक्षण, स्वच्छता ऑडिट और जनता से फीडबैक लेने की व्यवस्था भी की जाएगी।
चुनौतियाँ और संभावित असर
हालाँकि योजना महत्वाकांक्षी है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ होंगी। बढ़ती खाद्य कीमतें और आपूर्ति की लागत लंबे समय तक सस्ती दरों पर भोजन उपलब्ध कराने में कठिनाई पैदा कर सकती हैं। साथ ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समय पर खाद्यान्न आपूर्ति और स्वच्छता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी।
फिर भी, यदि योजना प्रभावी ढंग से लागू होती है, तो यह न केवल गरीबों और मजदूरों की थाली तक सस्ता भोजन पहुँचाएगी बल्कि कुपोषण को कम करने और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाएगी।