Author: BharatSpeaks
आँखों के नीचे काले घेरे (डार्क सर्कल्स) अक्सर नींद की कमी या थकान से जोड़े जाते हैं, लेकिन विशेषज्ञ अब एक और पहलू पर जोर दे रहे हैं। हालिया चिकित्सा रिपोर्ट बताती है कि कुछ ज़रूरी विटामिन और खनिजों की कमी भी इसका प्रमुख कारण हो सकती है। विटामिन और खनिजों की भूमिका विशेषज्ञों के अनुसार, विटामिन B12, C, E और K के साथ-साथ आयरन की कमी त्वचा और रक्त प्रवाह पर प्रतिकूल असर डालती है। ये पोषक तत्व कोलेजन उत्पादन, त्वचा की मरम्मत और ऑक्सीजन आपूर्ति में अहम भूमिका निभाते हैं। जब इनकी कमी होती है, तो आँखों के…
एक हालिया अध्ययन बताता है कि आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली दर्दनिवारक दवाएँ—जैसे इबुप्रोफेन और पैरासिटामोल—एंटीबायोटिक के साथ लेने पर बैक्टीरिया में ऐसे बदलाव ला सकती हैं जो एंटीबायोटिक प्रतिरोध को और तेज़ कर देते हैं। दवा की अलमारी में छिपा ख़तरा दक्षिण ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया कि हमारी रोज़मर्रा की भरोसेमंद दवाएँ भी एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ावा दे सकती हैं। प्रयोगशाला परीक्षणों में दिखा कि जब इबुप्रोफेन और पैरासिटामोल को एंटीबायोटिक सिप्रोफ्लॉक्सासिन के साथ ई. कोलाई बैक्टीरिया पर आज़माया गया, तो उनमें आनुवांशिक म्यूटेशन की गति तेज़ हो गई। इससे साधारण संक्रमण भी मुश्किल इलाज़ योग्य हो…
दिल की बीमारियों के लिए स्टैटिन दवाइयाँ अब भी मुख्य उपचार हैं, लेकिन हाल के शोध चार प्राकृतिक सप्लिमेंट्स की ओर इशारा करते हैं जो कोलेस्ट्रॉल प्रबंधन में मददगार साबित हो सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल की चुनौती उच्च कोलेस्ट्रॉल आज भी दुनिया भर में हृदय रोग का बड़ा कारण बना हुआ है। खून में वसा की अधिकता धमनियों को जाम कर देती है और दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ाती है। वर्षों से स्टैटिन जैसी दवाइयाँ इसका मानक इलाज रही हैं। मगर अब वैज्ञानिक शोध दिखा रहे हैं कि कुछ प्राकृतिक सप्लिमेंट्स भी, सही तरीके से उपयोग किए जाएँ तो, असरदार…
दिल, दिमाग़ और जोड़ों की सेहत के लिए लाखों लोग फिश ऑयल कैप्सूल लेते हैं। लेकिन इसे सुबह लेना बेहतर है या रात में—इस सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं है। “सही” समय की तलाश सालों से स्वास्थ्य ब्लॉग और सप्लिमेंट ब्रांड्स यही सवाल पूछते रहे हैं—फिश ऑयल लेने का सही समय कौन-सा है? क्या सुबह ध्यान और ऊर्जा के लिए बेहतर है? या रात में दिल की सेहत के लिए?पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि इसका कोई सार्वभौमिक समय तय नहीं है। असल मायने रखता है कैसे और कितनी नियमितता से इसे लिया जाता है। भोजन और वसा की…
The extraordinary birth of a 17th child to a tribal woman in Rajasthan has unsettled officials, exposing persistent gaps in India’s family planning outreach and the challenges of extending healthcare to its most marginalized communities. A Rare and Risky Birth in Udaipur When Rekha Kalbelia, a 55-year-old resident of Jhadol block in Rajasthan’s Udaipur district, delivered a child at a local community health center earlier this week, the staff believed they were witnessing her fourth pregnancy. Only later did they discover this was her 17th delivery. Twelve of those children are alive today—seven sons and five daughters—while five died shortly…
लंबे समय से बुजुर्गों को यह सलाह दी जाती रही है कि वे हड्डियों की मजबूती और गिरने से बचाव के लिए विटामिन-डी और कैल्शियम सप्लीमेंट लें। लेकिन अब नई सिफारिशें इस धारणा पर सवाल खड़ा कर रही हैं। यू.एस. प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स (USPSTF) ने अपने मसौदे में कहा है कि केवल इन सप्लीमेंट्स पर निर्भर रहना कारगर साबित नहीं होता। सीमित लाभ, उल्टा जोखिम भी संभव कई क्लिनिकल ट्रायल और अध्ययनों से पता चला है कि अकेले कैल्शियम या विटामिन-डी देने से न तो गिरने के मामलों में खास कमी आती है और न ही फ्रैक्चर के जोखिम…