नई दिल्ली : कृषि कानून को लेकर किसान विरोध कर रहे हैं। सरकार से एक खास वर्ग के किसानों में नाराजगी है। वहीं, विपक्षी इसपर राजनीति कर रहे हैं। किसान भले ही राजनीतिक पार्टियों से कोई मदद नहीं मांग रहे हैं लेकिन ये किसानों को विरोध करने के लिए उकसा रहे हैं। हालांकि, इस दौरान जो किसानों के मन में सवाल हैं उन्हें समझाने का प्रयास कोई भी नहीं कर रहा है। इस पर नए कृषि कानून को लेकर चल रहीं भ्रांतियों और असलियत को समझाया है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर नए कानून को लेकर किस तरह की भ्रांतियां हैं और उसकी क्या है असलियत।
1- क्या है भ्रांति
नए कृषि कानून से किसानों को कोई फायदा नहीं मिलेगा?
ये है हकीकत
किसान अपने उपज की बिक्री के लिए खुद खरीदार का चुनाव कर सकते हैं और अपने से तय कीमत पर उसे बेच भी सकते हैं। इस तरह नए कानून से किसानों को सीधे फायदा होने वाला है। इसमें बिचौलियों की समाप्ति हो जाएगी।
2- क्या है भ्रांति
किसी तरह के विवाद होने की स्थिति में किसानों को उसे सुलझाने में कोई सहूलियत नहीं मिलेगी। खासतौर पर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के दौरान ऐसे विवाद के कयास लगाए जा रहे हैं।
ये है हकीकत
कानून के अनुसार किसान तय सीमा 30 दिन के भीतर ही कॉन्ट्रैक्ट कंपनी के साथ विवाद निपटा सकते हैं। अगर विवाद नहीं सुलझा तो एसडीएम के ट्रिब्यूनल में जाएंगे और 30 दिन में मामला सुलझ जाएगा।
3- क्या है भ्रांति
किसानों को समय-सीमा में निर्धारित पेमेंट नहीं मिल पाएगी।
ये है हकीकत
खरीदार को किसी भी किसान से उपज लेने वाले दिन ही पेमेंट करनी होगी। ऐसा नहीं होने पर एग्रीमेंट के अनुसार, अधिकतम 3 दिन के भीतर पेमेंट मिल जाएगी।
4- क्या है भ्रांति
किसानों के संगठनों को कोई फायदा नहीं मिलेगा?
ये है हकीकत
किसानों के संगठनों को भी किसान की तरह ही माना जाएगा। इसलिए संगठनों को भी उतना ही फायदा मिलेगा।
5- क्या है भ्रांति
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को भविष्य में बंद कर दिया जाएगा।
ये है हकीकत
MSP पहले की तरह भविष्य में भी जारी रहेगा। ये भी आपको जानना जरूरी है कि बीजेपी सरकार में MSP पहले की सरकार की तुलना में बढ़ा ही है। उदाहरण के लिए यूपीए-2 सरकार के समय गेहूं का MSP 270 रुपये बढ़ा लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार में MSP में 575 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। यानी कांग्रेस सरकार की तुलना में बीजेपी सरकार में एमएसपी पर 205 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। फिर भी एमएसपी को लेकर विपक्षी लोगों को भड़का रहे हैं।
6- क्या है भ्रांति
FCI जैसी संस्थाएं किसानों के भंडारण को बंद कर देंगी।
ये है हकीकत
FCI और दूसरी सरकारी एजेंसियां पहले की तरह ही हमेशा भंडारण करती रहेंगी। इसे बंद नहीं किया जा रहा है।
7- क्या है भ्रांति
APMC मंडी के बाहर अपनी उपज को बेचने के लिए किसानों को अब लाइसेंस की जरूरत होगी।
ये है हकीकत
किसान किसी भी मंडी के बाहर अपनी उपज को बेच सकेंगे। इस पर कभी कोई रोक नहीं है। वे अपनी कीमत भी तय कर सकते हैं। इसके लिए किसी भी तरह के लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी।
8- क्या है भ्रांति
APMC मंडी को आने वाले दिनों में कभी भी बंद कर दिया जाएगा।
ये है हकीकत
मंडी को कभी भी बंद नहीं किया जाएगा। ये पहले की तरह ही चलती रहेंगी।
9- क्या है भ्रांति
नया कानून किसानों को मिलने वाले भुगतान की सुरक्षा की गारंटी नहीं लेता है।
ये है हकीकत
नया कानून पूरी तरह से किसानों से हित में है। ये किसानों को उनकी उपज का समय पर भुगतान कराने में समर्थ है।