लखनऊ : योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में चंद दिनों के लिए आने वाले युवा, प्रवासीय लोगों, पर्यटकों और छात्रों को मामूली किराए पर एक बेड की डोरमेट्री मुहैया कराने का फैसला किया है। इन्हें दस वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बेड के साथ एक अलमारी और लॉकर की भी सुविधा मिलेगी। सूबे के हर शहर में यह व्यवस्था होगी। इससे शहरों में आने वालों को किसी होटल से भी कम कीमत में रहने की सुविधा मिलेगी। इसे लेकर नगर विकास विभाग जल्द ही नई नीति जारी कर देगा।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने राज्यों को अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कांप्लेक्स योजना शुरू करने का निर्देश दिया है। इसके दिशा-निर्देश के अनुसार राज्य कैबिनेट ने प्रस्ताव पास कर दिया है। अब इसे लेकर नियम बनाए जा रहे हैं। इसे अधिसूचित कस्बों, अधिसूचित योजना क्षेत्रों, विकास और विशेष क्षेत्र विकास, औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में बनाया जाएगा।
आयकर व जीएसटी में छूट मिलेगी
योजना के तहत डोरमेट्री या मकान बनाने वालों को आयकर, जीएसटी में छूट मिलेगी। साथ ही कम ब्याज पर लोन की भी सुविधा होगी। इसके अलावा उसके द्वारा इस संबंध में किए गए आवेदन का 30 दिनों में निस्तारण होगा। परियोजना पास होने के बाद बिल्डर को 18 महीने में इसे पूरा करना होगा। सेवा शुल्क आवासीय दरों पर वसूला जाएगा। डारमेट्री में पानी की आपूर्ति, बिजली, रसोई और शौचालय शामिल होंगे। इसके साथ ही बिस्तर, साइड टेबल, अलमारी भी दी जाएगी।
एफएआर में 50 फीसदी की छूट
योजना के तहत कम जमीन पर अधिक निर्माण हो सके, इसके लिए कई तरह की सुविधाएं दी जाएंगीं। 50 फीसदी फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) मुफ्त में दिया जाएगा। योजना का लाभ उन्हें ही मिलेगा, जिसके पास आधार या फिर कोई सरकारी या अन्य संस्थान का प्रमाण पत्र होगा। किराए पर लिए गए मकान का आवासीय इस्तेमाल ही होगा। इसमें दुकान व प्रतिष्ठान नहीं खोला जा सकेगा। ऐसा करने पर कार्रवाई की जाएगी।
एक स्थान पर कम से कम 40 मकान
परियोजना के तहत किसी भी स्थान पर न्यूनतम 40 मकान बनाए जाएंगे। इसमें एक बेडरूम 30 वर्ग मीटर, दो बेडरूम 60 वर्ग मीटर और डोरमेट्री में 10 वर्ग मीटर प्रति बेड के हिसाब से बनाया जाएगा। शहरी प्रावासी, गरीब मजदूर, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, निन्म आर्य वर्ग के व्यक्ति, फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर, प्रवासी मजदूर, शिक्षण संस्थाओं से जुड़े लोगों के अलावा पर्यटक और छात्रों को पात्रता की श्रेणी में रखा गया है। शुरुआती दौर में क्षेत्र के आधार पर स्थानीय निकाय किराया तय करेगा।