प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 125वें मन की बात कार्यक्रम में एक नई पहल की घोषणा की, जिसका नाम है ‘प्रतिभा सेतु’। यह डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म उन यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए है जिन्होंने प्रारंभिक, मुख्य और इंटरव्यू जैसे सभी चरण पार कर लिए लेकिन अंतिम मेरिट सूची में जगह नहीं बना सके। अब उनकी मेहनत और योग्यता देश की अन्य ज़रूरतों से सीधे जुड़ सकेगी।
क्या है ‘प्रतिभा सेतु’?
यह योजना 2018 में शुरू हुई पब्लिक डिस्क्लोज़र स्कीम (PDS) का उन्नत रूप है। अब इसे और व्यापक बनाते हुए यूपीएससी ने एक ऐसा केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार किया है जिसमें सिविल सर्विसेज, इंजीनियरिंग सर्विसेज, आईएफएस, सीडीएस, सीएमएस, जीओ-साइंटिस्ट और सीएपीएफ जैसी परीक्षाओं में सफल लेकिन अंतिम चयन सूची से बाहर हुए अभ्यर्थियों की बायोडाटा प्रोफ़ाइल उपलब्ध होगी।
अब तक 10,000 से अधिक अभ्यर्थी इस प्लेटफ़ॉर्म पर रजिस्टर हो चुके हैं।
कैसे काम करेगा यह प्लेटफ़ॉर्म?
-
अभ्यर्थी की सहमति: केवल वे उम्मीदवार जिनकी सहमति होगी, उनका डेटा साझा किया जाएगा।
-
नियोक्ता का पंजीकरण: मंत्रालय, सार्वजनिक उपक्रम, स्वायत्त संस्थान और निजी कंपनियाँ यूपीएससी पोर्टल पर पंजीकरण करा सकती हैं। निजी कंपनियों के लिए MCA (कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय) से सीआईएन वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा।
-
डेटा एक्सेस: पंजीकृत नियोक्ता सुरक्षित लॉगिन के ज़रिए अभ्यर्थियों का शैक्षणिक विवरण, परीक्षा प्रदर्शन और संपर्क जानकारी देख सकेंगे। उन्हें फ़िल्टर, शॉर्टलिस्ट और चयन प्रक्रिया की रिपोर्टिंग के लिए इंटरैक्टिव डैशबोर्ड भी मिलेगा।
क्यों है यह अहम?
अक्सर ऐसे अभ्यर्थी, जिन्होंने वर्षों तक तैयारी की और परीक्षा के हर चरण में खुद को साबित किया, अंतिम सूची से बाहर हो जाते हैं। ‘प्रतिभा सेतु’ न केवल उनके लिए एक दूसरा अवसर है, बल्कि देश के लिए एक कुशल प्रतिभा पूल तक पहुँचने का रास्ता भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “इनकी मेहनत किसी से कम नहीं है। हर सच्चे प्रयास का सम्मान होना चाहिए।”
आगे का रास्ता
यह पहल युवाओं को केवल सरकारी नौकरियों तक सीमित नहीं रखती, बल्कि निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में अवसर उपलब्ध कराती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे न केवल बेरोज़गारी की चुनौती कम होगी, बल्कि नीति-निर्माण और उद्योग जगत को उच्च स्तर की मानवीय पूंजी भी मिलेगी।