लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार जनहित में एक ऐतिहासिक फैसला जल्द करने वाली है। दरअसल, ये फैसला हर किसी के परिवार से जुड़ा है। बचपन में ही बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए कई योजनाएं लाने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार अब वृद्धावस्था में भी लोगों को सम्मान के साथ जिंदगी गुजारने का अधिकार दिलाने का बड़ा फैसला लेने जा रही है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो यूपी सरकार एक प्रस्ताव पास करके कानून बना देगी, जिसमें माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करने वाले बेटों को माता पिता की संपत्ति से हाथ धोना पड़ेगा।
विधि आयोग ने इसलिए पेश किया है नए कानून का प्रस्ताव
दरअसल, उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाएं हर दिन सामने आती हैं, जिसमें बुजुर्गों को खुद उनके बच्चों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। ऐसी घटनाओं को रोकना आसान नहीं होता है। क्योंकि ये घर के अंदर की घटनाएं होतीं हैं और बुजुर्ग लोग अपने ही बच्चों के खिलाफ जल्दी शिकायत देने के लिए तैयार नहीं होते हैं। इसलिए ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए और वृद्ध हो चले मां-बाप की देखभाल करने के लिए यूपी राज्य विधि आयोग ने योगी सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव पेश किया है। राज्य के विधि आयोग ने वरिष्ठ नागरिक रखरखाव कल्याण अधिनियम-2017 में संशोधन के लिए सरकार के समक्ष प्रस्ताव पेश किया है।
इस प्रस्ताव के मुताबिक, अगर बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता की ठीक ढंग से देखभाल नहीं करते हैं, तो वे संपत्ति के उत्तराधिकारी नहीं बन सकेंगे। उत्तर प्रदेश स्टेट लॉ कमिशन ने सीएम को सौंपे अपने इस प्रस्ताव में माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण एवं कल्याण कानून-2007 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। इस कानून में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई बुजुर्ग शिकायत करता है तो मां-बाप की तरफ से अपने बच्चे या वारिस को दी गई संपत्ति की रजिस्ट्री या दानपत्र को भी निरस्त कर दिया जाएगा।
संतान को दी गई प्रॉपर्टी को भी वापस लें सकेंगे बुजुर्ग
कानूनी विशेषज्ञों ने बताया कि अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो बुजुर्ग मां-बाप अपनी संतानों को दी गई प्रॉपर्टी को शिकायत करके वापस ले सकेंगे। इस तरह संपत्ति के उत्तराधिकारी उसका उपभोग नहीं कर पाएंगे। अगर बृद्ध मां-बाप की देखभाल उनके बच्चे या रिश्तेदार उनके ही घर में रहकर नहीं करते हैं, तो ऐसे में बुजुर्ग दंपति, उनको अपने आवास से निकाल भी सकते हैं। इस तरह का अधिकार बुजुर्गों को नए कानून में दिया जा सकता है।