आजमगढ़ : पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के के आजमगढ़ की एक अदालत ने मुबारकपुर थाना क्षेत्र के इब्राहिमपुर मोहल्ले में 24 नवंबर 2019 की रात हुए तिहरे हत्याकांड और रेप के गुनहगार नजीरुद्दीन उर्फ पौआ को फांसी की सजा सुनाई। नजीरुद्दीन को एक मां के साथ दुष्कर्म करने के बाद चार महीने की बच्ची सहित परिवार के तीन सदस्यों की हत्या करने का दोषी पाया गया।
मारे गए दो अन्य लोगों में बच्ची की 30 वर्षीय मां और 35 वर्षीय पिता थे। पोक्सो कोर्ट के न्यायाधीश रामेंद्र कुमार ने नजीरुद्दीन को सजा सुनाते हुए उसके द्वारा किए गए अपराध को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामला बताया। नजीरुद्दीन पर 9 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस बीच योगी सरकार ने आरोपी को फांसी की सजा दिलवाने में अहम भूमिका निभाने वाली पुलिस टीम को एक लाख रुपये का नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है।
मामले पुलिस टीम ने जिस तरह से काम किया, उसकी काफी सराहना हो रही है। पुलिस ने अथक प्रयास कर आरोपी मुबारकपुर थाने के इब्राहिमपुर गांव निवासी नजीरुद्दीन को गिरफ्तार किया। फिर उसको कठोर से कठोर सजा दिलवाने के लिए जरूरी साक्ष्य सबूत इक्ट्ठा करके चार्जशीट अदालत में दाखिल की। यही कारण है कि 17 महीने में अदालत ने सुनवाई पूरी करके 26 मार्च को फैसला सुनाते हुए आरोपी को फांसी की सजा सुना दिया। इससे खुश होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होली से ठीक पहले पुलिस टीम को एक लाख रुपये नगर पुरस्कार देने की घोषणा कर दी। टीम का इससे मनोबल काफी बढ़ा है।
क्या था मामला
मुबारकपुर थाना क्षेत्र के इब्राहिमपुर मोहल्ले में 24 नवंबर 2019 की रात को दोषी ने रेप के लिए पति-पत्नी और चार माह के नवजात की हत्या कर दी थी। इस दौरान पांच साल का बेटा और आठ साल की बेटी बच गई। दोषी ने बड़े ही निर्मम तरीके से पहले ईंट से प्रहार करके दंपति की हत्या कर दी। फिर चार माह की बच्ची को कुचलकर मार दिया। उसने मृत महिला और बेहोश बेटी से भी रेप किया था। कोर्ट ने नजीरुद्दीन पर 9 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इसमें से दुष्कर्म पीड़िता के परिवार को 1.5 लाख रुपये दिया जाएगा
क्या बोले तत्कालीन एसएसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह
जब ये जघन्य अपराध हुआ था उस समय आजमगढ़ के एसएसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह थे। उन्होंने बताया कि घटना की जानकारी होते ही पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया था। घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस टीम के सामने आरोपी को पकड़ने के साथ साक्ष्य जुटाने की भी चुनौती थी। दरअसल, अपराधी को पकड़ने के साथ सबूत जुटाकर उसे सजा दिलाना भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है। इसलिए हमने कई टीमें बनाकर सभी से पल-पल की रिपोर्ट ली और खासतौर पर फॉरेंसिक सबूतों को जुटाने पर जोर दिया। यही वजह है कि गुनहगार को बहुत ही कम समय में सजा दिलाई जा सकी।