देश की सरहद पर हों, आसमान में या समुंद्र के विस्तार में, बर्फीली चोटियों पर हों या घने जंगलों में, राष्ट्र रक्षा में जुड़े हर वीर बेटे-बेटी, हमारी सेनाएँ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, हर सुरक्षा बल, हमारे पुलिस के जवान, हर किसी को मैं आज दीपावली के इस पावन पर्व पर आदरपूर्वक नमन करता हूं।
आप हैं, तो देश हैं, देश के लोगों की खुशियां हैं, देश के ये त्योहार हैं। मैं आज आपके बीच प्रत्येक भारतवासी की शुभकामनाएँ लेकर के आया हूँ।
साथियों मुझे याद है प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार 2014 में दीपावली के पर्व पर मैं सियाचिन चला गया था। जवानों के साथ दीवाली मनाने के लिए, तो बहुत लोगों को थोड़ा आश्चर्य हुआ। त्यौहार के दिन ये क्या प्रधानमंत्री कर रहा है। लेकिन, अब तो आप भी मेरे भाव जानते हैं। अगर दिवाली के पर्व पर अपनों के बीच ही तो जाऊँगा, अपने से दूर कहां रहूँगा। और इसलिए आज भी दीपावली के वर्ष आप लोगों के बीच आया हूँ। अपनों के बीच में आया हूँ। आप भले बर्फीली पहाडि़यों पर रहें, या फिर रेगिस्तान में, मेरी दीवाली तो आपके बीच आकर ही पूरी होती है।
आपके चेहरों की रौनक देखता हूँ। आपके चेहरों की खुशियाँ देखता हूँ। तो मुझे भी अनेक गुणा खुशी हो जाती है। मेरी खुशी बढ़ जाती है। इसी खुशी के लिए, देशवासियों के उल्लास को आप तक पहुँचाने के लिए आज मैं फिर एक बार, इस रेगिस्तान में आपके बीच में आया हूँ। और एक बात, आपके लिए मैं त्यौहार का दिन है तो इसीलिए थोड़ी सी मिठाई भी लेके आया हूँ। लेकिन ये सिर्फ देश का प्रधानमंत्री मिठाई लेकर नही आया है। ये मेरी ही नही ये सभी देशवासियों के प्रेम और अपनेपन का स्वाद भी उसके साथ लेके आया हूँ। इन मिठाइयों में आप देश की हर माँ के हाथ की मिठास अनुभव कर सकते हैं। इस मिठाई में आप हर भाई, बहन और पिता के आशीर्वाद को महसूस कर सकते हैं। और इसलिए, मैं आपके बीच अकेला नहीं आता। मैं अपने साथ देश का आप के प्रति प्रेम, आपके प्रति स्नेह और आपके लिए आशीर्वाद भी साथ लेकर आता हूं और साथियों,
आज यहां लोंगेवाला की इस पोस्ट पर हूं, तो देश भर की नजरें आप पर हैं, मां भारती के लाडलों, मेरी इन बेटियाँ, मेरे देश को गौरव देने वाली ये बेटियाँ जो मेरे सामने बैठी हैं, उन पर देश की नजर है। मुझे लगता है कि देश की सरहद पर अगर किसी एक पोस्ट का नाम देश के सबसे ज्यादा लोगों को याद होगा, अनेक पीढ़ियों को याद होगा, तो उस पोस्ट का नाम है लोंगेवाला पोस्ट, हर किसी की जुबान पर है। एक ऐसी पोस्ट, जहां गर्मियों में तापमान 50 डिग्री को छूता है तो सर्दियों में शून्य से नीचे चला जाता है और मई जून में ये बालू जिस प्रकार से आती है एक दूसरे का चेहरा भी नहीं देख पाते हैं। इस पोस्ट पर आपके साथियों ने शौर्य की एक ऐसी गाथा लिख दी है, जो आज भी हर भारतीय के दिल को जोश से भर देती है। लोंगेवाला का नाम लेते ही हृदय की गहराई से मन मंदिर से यही प्रकट होता है ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ ये जयकारा कानों में गूंजने लगता है।
जब भी सैन्य कुशलता के इतिहास के बारे में लिखा-पढ़ा जाएगा, जब सैन्य पराक्रम की चर्चा होगी, तो बैटल ऑफ लौंगेवाला को ज़रूर याद किया जाएगा। ये वो समय था जब पाकिस्तान की सेना बांग्लादेश के निर्दोष नागरिकों पर अत्याचार कर रही थी, जुल्म कर रही थी, नरसंहार कर रही थी। बहन-बेटियों पर अमानवीय जुल्म कर रही थे, पाकिस्तान की सेना के लोग कर रहे थे। इन हरकतों से पाकिस्तान का घृणित चेहरा उजागर हो रहा था। भयंकर रूप दुनिया के सामने पाकिस्तान का प्रकट हो रहा था। इन सबसे दुनिया का ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान ने हमारे देश की पश्चिमी सीमाओं पर मोर्चा खोल दिया। पाकिस्तान को लगता था कि भारत की पश्चिम सीमा पर मोर्चा खोल दूंगा, दुनिया में भारत ने ये कर दिया, भारत ने वो कर दिया करके रोता रहूंगा और बांग्लादेश के सारे पाप उनके छिप जाएंगे। लेकिन हमारे सैनिकों ने जो मुंहतोड़ जवाब दिया, पाकिस्तान को लेने के देने पड़ गए।
यहां इस पोस्ट पर दिखाए गए पराक्रम की गूंज, इस गूंज ने दुश्मन का हौसला तोड़ दिया था। उसको क्या पता था कि यहां उसका सामना मां भारती के शक्तिशाली बेटे-बेटियों से होने वाला है। मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में भारतीय वीरों ने टैंकों से लैस दुश्मन के सैनिकों को धूल चटा दी, उनके मंसूबों को नेस्तनाबूत कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता है कि कुलदीप जी के माता-पिता ने उनका नाम कुलदीप भले रखा था, उनको लगा होगा कि ये कुल का दीपक है लेकिन वो कुलदीप जी ने अपने पराक्रम से उस नाम को ऐसे सार्थक कर दिया, ऐसे सार्थक कर दिया कि वे सिर्फ कुलदीप नहीं, वे राष्ट्रद्वीप बन गए।
लोंगेवाला का वो ऐतिहासिक युद्ध भारतीय सैन्यबल के शौर्य का प्रतीक तो है ही, थलसेना, बीएसएफ और वायुसेना के अद्भुत Coordination का भी प्रतीक है। इस लड़ाई ने दिखाया है कि भारत की संगठित सैन्य शक्ति के सामने चाहे कोई भी आ जाए, वो किसी भी सूरत में टिक नहीं पाएगा। अब जब सन 71 में हुए युद्ध के, लौंगेवाला में हुई लड़ाई के 50 वर्ष होने जा रहे हैं, कुछ ही सप्ताह में हम इसके 50 वर्ष, इस गौरवपूर्ण स्वर्णिम पृष्ठ को हम मनाने वाले हैं और इसीलिए आज मेरा मन यहाँ आने को कर गया है। तो पूरा देश अपने उन वीरों की विजय गाथाएं सुनकर वो गौरवान्वित होगा, उसका हौसला बुलंद होगा, नई पीढ़ियाँ और आने वाली पीढ़ियाँ, इस पराक्रम के साथ प्रेरणा भी लेने के लिए ये अवसर उनके जीवन का एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण बनने वाला है। ऐसे ही वीर सपूतों के लिए राजस्थान की भूमि के ही एक कवि नारायण सिंह भाटी ने लिख है और यही गीत बोलचाल की भाषा में लिखा है, उन्होंने लिखा है इन जैसे घर, इन जैसे गगन, इन जैसे सह-इतिहास! इन जैसी सह-पीढ़ियाँ, प्राची त्रणे प्रकाश!! यानि अपने वीर सपूतों के बलिदानों पर ये धरती गर्व करती है, आसमान गर्व करता है और सम्पूर्ण इतिहास गर्व करता है। जब-जब सूर्य का प्रकाश इस धरती पर अंधकार को भगाने के लिए अवतरित होगा, आने वाली पीढ़ियाँ इस बलिदान पर गर्व करती रहेंगी।
हिमालय की बुलंदियां हों, रेगिस्तान में बालू के ढेर हो, घने जंगल हों या फिर समंदर की गहराई हो, हर चुनौती पर हमेशा आपकी वीरता हर चुनौती पर भारी पड़ी है। आप में से अनेक साथी अगर आज यहां रेगिस्तान में डटे हैं, तो आपको हिमालय की ऊंचाइयों का भी अनुभव है। स्थिति-परिस्थिति कोई भी हो, आपका पराक्रम, आपका शौर्य, अतुलनीय है। इसी का असर है कि आज दुश्मन को भी ये ऐहसास है कि भारत के जांबाजों की कोई बराबरी नहीं है। आपके इसी शौर्य को नमन करते हुये आज भारत के 130 करोड़ देशवासी आपके साथ मजबूती से खड़े हैं। आज हर भारतवासी को अपने सैनिकों की ताकत और शौर्य पर गर्व है। उन्हें आपकी अजेयता पर, आपके अपराजेयता पर गर्व है। दुनिया की कोई भी ताकत हमारे वीर जवानों को देश की सीमा की सुरक्षा करने से न रोक सकता है न टोक भी सकता है।
दुनिया का इतिहास हमें ये बताता है कि केवल वही राष्ट्र सुरक्षित रहे हैं, वही राष्ट्र आगे बढ़े हैं जिनके भीतर आक्रांताओं का मुकाबला करने की क्षमता थी। अगर आज का दृश्य देखें, भले ही international cooperation कितना ही आगे क्यों न आ गया हो, समीकरण कितने ही बदल क्यों न गए हों, लेकिन हम कभी नहीं भूल सकते कि, सतर्कता ही सुरक्षा की राह है, सजगता ही सुख-चैन का संबल है। सामर्थ्य ही विजय का विश्वास है, सक्षमता से ही शांति का पुरस्कार है। भारत आज सुरक्षित है क्योंकि भारत के पास अपनी सुरक्षा करने की शक्ति है, भारत के पास आप जैसे वीर बेटे-बेटियाँ हैं।
जब भी जरूरत पड़ी है, भारत ने दुनिया को दिखाया है कि उसके पास ताकत भी है और सही जवाब देने की राजनीतिक इच्छाशक्ति भी है। हमारी सैन्य ताकत, उसने आज हमारी negotiating power को भी अनेक गुना बढ़ा दिया है, उनके पराक्रम से बढ़ा है, उनकी संकल्प शक्ति से बढ़ा है। आज भारत आतंकियों को, आतंक के आकाओं को घर में घुसकर मारता है। आज दुनिया ये जान रही है, समझ रही है कि ये देश अपने हितों से किसी भी कीमत पर रत्ती भर भी समझौता करने वाला नहीं है। भारत का ये रुतबा, ये कद आपकी शक्ति और आपके पराक्रम के ही कारण है। आपने देश को सुरक्षित किया हुआ है इसीलिए आज भारत वैश्विक मंचों पर प्रखरता के साथ अपनी बात रखता है।
आज पूरा विश्व विस्तारवादी ताकतों से परेशान हैं। विस्तारवाद, एक तरह से मानसिक विकृति है और अठ्ठारहवीं शताब्दी की सोच को दर्शाता है। इस सोच के खिलाफ भी भारत प्रखर आवाज बन रहा है।
आज भारत बहुत तेजी के साथ अपने डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने की तरफ बहुत तेजी से कदम उठा रहा है, आगे बढ़ रहा है। हाल ही में हमारी सेनाओं ने निर्णय लिया है कि वो 100 से ज्यादा अलग-अलग प्रकार की जो आवश्यकताएँ, खासकर हथियार और साजो-सामान उसको अब विदेशों से नहीं लेंगे, भारत में उत्पाद की हुई चीज़े ही लेंगे। यहीं का उत्पाद और उसके लिए जो आवश्यक होगा करेंगे। ये निर्णय छोटा नहीं है। इसके लिए सीने में बहुत बड़ा दम लगता है। अपने जवानों पर विश्वास लगता है। मैं आज इस मौके पर और त्याग और तपस्या की इस महत्वपूर्ण भूमि से, मैं अपनी सेनाओं को उनके इस महत्वपूर्ण फैसले के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। ये निर्णय छोटा नहीं है, मैं जानता हूँ। फैसला सेना ने लिया, आत्मनिर्भर भारत का एक बहुत बड़ा हौसला बढ़ाने वाला निर्णय लिया। लेकिन सेना के इस फैसले से देशवासियों में भी, 130 करोड़ देशवासियों में ऐसा मैसेज चला गया, सब दूर चला गया और वो मैसेज क्या गया लोकल के लिए वोकल होने का, सेना के एक निर्णय ने 130 करोड़ देशवासियों को लोकल के लिए वोकल होने की प्रेरणा दी। मैं आज देश के नौजवानों से, देश की सेनाओं से, सुरक्षा बलों से, पैरामेडिकल फोर्सेस से, एक के बाद एक इस प्रकार निर्णयों के अनुकुल भारत में भी मेरे देश के युवा ऐसी-ऐसी चीजों का निर्माण करेंगे, ऐसी-ऐसी चीजें बनाकर के लायेंगे, हमारी सेना के जवानों की, हमारे सुरक्षा बलों के जवानों की ताकत बढ़ेगी। हाल के दिनों में अनेक स्टार्ट्स-अप्स सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए आगे आए हैं। डिफेंस सेक्टर में नौजवानों के नए स्टार्ट-अप्स देश को आत्मनिर्भरता के मामले में और तेजी से आगे ले जाएंगे।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत, देश के बढ़ते हुए इस सामर्थ्य का लक्ष्य है- सरहद पर शांति। आज भारत की रणनीति साफ है, भारत की रणनीति स्पष्ट है। आज का भारत समझने और समझाने की नीति पर विश्वास करता है, समझने की भी और समझाने की भी, लेकिन अगर हमें आज़माने की कोशिश की, फिर तो जवाब भी उतना ही प्रचंड मिलेगा।
देश की अखंडता, देशवासियों की एकता पर निर्भर करती है। शान्ति, एकता, सद्भावना देश के भीतर देश की अखण्डता को ऊर्जा देती है। सीमा की सुरक्षा, सुरक्षाबलों की शक्ति के साथ जुड़ी है। सीमा पर हमारे जांबाजों का हौसला बुलंद रहे, उनका मनोबल आसमान से भी ऊंचा रहे, इसलिए उनकी हर आवश्यकता, हर जरूरत, आज देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। उनके परिवार की देखभाल, ये देश का दायित्व है। बीते समय में, सैनिकों के बच्चों की शिक्षा और रोजगार को लेकर भी अनेक फैसले लिए गए हैं। पिछले वर्ष जब मैंने दूसरी बार शपथ ली थी तो पहला फैसला ही शहीदों के बच्चों की शिक्षा से जुड़ा हुआ था। इसके तहत नेशनल डिफेंस फंड के अंतर्गत मिलने वाली स्कॉलरशिप को बढ़ाया गया है।
सुविधा के साथ-साथ वीरों के सम्मान के लिए भी देश में अभूतपूर्व प्रयास चल रहे हैं। National war memorial, राष्ट्रीय समर स्मारक या फिर नेशनल पुलिस मेमोरियल हो, ये दोनों स्मारक देश के शौर्य के सर्वोच्च प्रतीक बनकर देशवासियों को, हमारी नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं।
मुश्किल चुनौतियों के बीच आपका व्यवहार, आपका टीम वर्क, देश को हर मोर्चे पर इसी जज्बे के साथ लड़ने की सीख देता है। आज देश इसी भावना से कोरोना जेसी महामारी के खिलाफ भी जंग लड़ रहा है। देश के हजारों doctors, nurses, helpers और support staff दिन रात, बिना रुके, बिना थके काम कर रहे हैं। देशवासी भी इस जंग को फ्रंटलाइन warriors की तरह लड़ रहे हैं। इतने महीनों से हमारे देशवासी पूरे अनुशासन का पालन कर रहे हैं, मास्क जैसी सावधानियों का पालन कर रहे हैं और अपने और अपनों के जीवन की भी रक्षा कर रहे हैं। लेकिन हमें ये भी अहसास है, कि अगर हमें मास्क पहनने में ही इतनी तकलीफ होती है तो आपके लिए ये सुरक्षा जैकेट्स, न जाने आपके शरीर पर कितनी चीजे आपको लादनी पड़ती है। इतना कुछ पहनना कितना कठिन होता होगा। आपके इस त्याग से देश अनुशासन भी सीख रहा है और सेवा धर्म का भी पालन भी कर रहा है।
सीमा पर रहकर आप जो त्याग करते हैं, तपस्या करते हैं, वो देश में एक विश्वास का वातावरण बनाता है, हर हिन्दुस्तानी के अंदर एक नया confidence level लाता है। ये विश्वास होता है कि मिलकर बड़ी से बड़ी चुनौती का मुकाबला किया जा सकता है। आपसे मिली इसी प्रेरणा से देश महामारी के इस कठिन समय में अपने हर नागरिक के जीवन की रक्षा में जुटा हुआ है। इतने महीनों से देश अपने 80 करोड़ से ज्यादा नागरिकों के भोजन की व्यवस्था कर रहा है। लेकिन इसके साथ ही, देश, अर्थव्यवस्था को फिर से एक बार गति देने का भी पूरे हौसले से प्रयास कर रहा है। देशवासियों के इसी हौसले का परिणाम है कि आज कई sectors में फिर से रेकॉर्ड रिकवरी और growth दिख रही है। ये अलग-अलग प्रकार की सब लड़ाइयाँ, ये सब सफलताएँ, इनका श्रेय सीमा पर डटे हमारे जवानों को जाता है, आपको जाता है।
हर बार, हर त्यौहार में, जब भी मैं आपके बीच आता हूं, जितना समय आप सब के बीच बिताता हूं, जितना आपके सुख-दुख में शामिल होता हूं, राष्ट्ररक्षा का, राष्ट्रसेवा का मेरा संकल्प उतना ही मज़बूत होता है। मैं आपको फिर आश्वस्त करता हूं कि आप निश्चिंत होकर अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहें, प्रत्येक देशवासी आपके साथ है। हां, आज के दिन मैं आपसे एक मित्र के रूप में, एक साथी के रूप में तीन बातों का आग्रह करूँगा और मुझे विश्वास है कि मेरा ये आग्रह आपके लिए भी हो सकता है संकल्प बन जाए। पहला- कुछ न कुछ नया Innovate करने की आदत को, नई तरीके से करने की आदत, नई चीज खोजकर करने की आदत, इसको जिंदगी का हिस्सा बनाइए और मैंने देखा है कि इस प्रकार जिन्दगी गुजारने वाले हमारे जवानों की creativity देश के लिए बहुत कुछ नई चीजें ला सकती हैं। आप थोड़ा सा ध्यान दीजिए, कुछ न कुछ इनोवेट करने का। देखिए, हमारे सुरक्षा बलों को क्योंकि आप अनुभव के आधार पर इनोवेट करते हैं। रोजमर्रा से जिस पकार से आप जूझते हैं उसमें से निकालते हैं, बहुत बड़ा लाभ होता है। दूसरा मेरा आग्रह है और वो आप लोगों के लिए बहुत जरूरी है आप हर हालत में योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाए रखिए और तीसरा हम सबकी अपनी-अपनी मातृभाषा है, हम में से बहुत लोग हिन्दी बोलते भी हैं, हम में से कुछ लोग अंग्रेजी भी बोलते हैं, इन सबसे तो हमारा स्वाभाविक नाता रहता है। लेकिन जब ऐसा सामूहिक जीवन होता है, एक मेरे सामने लघु भारत बैठा हुआ है। देश के हर कोने के नौजवान बैठे हए हैं। अलग-अलग मातृभाषा के नौजवान बैठे हुए हैं तब मैं आपसे एक और आग्रह करता हूं कि मातृभाषा वो जानते हैं आप, हिन्दी जानते हैं, अंग्रेजी जानते हैं, क्यों न अपने किसी एक साथी के पास से, भारत की कोई एक और भाषा आप जरूर आत्मसात कीजिए। सीखिए, आप देखना वो आपकी एक बहुत बड़ी ताकत बन जाएगी। आप जरूर देंखेंगे, ये बातें आपमें एक नई ऊर्जा का संचार करेंगी।
जब तक आप हैं, आपका ये हौसला है, आपके ये त्याग और तपस्या है, 130 करोड़ भारतवासियों का आत्मविश्वास कोई नहीं डिगा पाएगा। जब तक आप हैं, तब तक देश की दीवाली इसी तरह रोशन होती रहेगी। लोंगेवाला की इस पराक्रमी भूमि से, वीरता और साहस की भूमि से, त्याग और तपस्या की भूमि से मैं फिर एक बार, आप सबको भी और देशवासियों को भी दीपावली की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूं। मेरे साथ, पूरी ताकत के साथ दोनों मुट्ठी ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए, भारत माता की जय ! भारत माता की जय! भारत माता की जय!