शादी-पार्टियों में या दोस्तों के साथ बैठकों में आपने ये जरूर देखा या सुना होगा—कोई जैसे ही दो पैग पीता है, उसकी ‘अंग्रेज़ी’ खुल जाती है।
ये मज़ाक बन चुका है, लेकिन इसके पीछे एक गहरी वैज्ञानिक सच्चाई छुपी है।
शराब दिमाग पर क्या असर डालती है?
शराब एक सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेसेंट है। मतलब, ये दिमाग की एक्टिविटी को धीमा कर देती है—but not instantly.
शुरुआती स्टेज में शराब:
- संकोच (inhibition) को कम करती है
- सोशल एंग्जायटी को घटाती है
- जोखिम लेने की प्रवृत्ति बढ़ाती है
- सोच और भाषा नियंत्रण को थोड़ा ढीला कर देती है
इसका असर? इंसान अपनी ही झिझक से आज़ाद महसूस करने लगता है।
अंग्रेज़ी = स्टेटस, शराब = कॉन्फिडेंस
भारत में अंग्रेज़ी भाषा का मतलब सिर्फ कम्युनिकेशन नहीं, बल्कि:
- शिक्षा और सफलता का प्रतीक
- शहरी और ऊँचे दर्जे की पहचान
- सामाजिक स्वीकृति का जरिया
लेकिन साथ ही, गलती का डर, जजमेंट की चिंता और हीन भावना भी जुड़ी होती है।
शराब इन बाधाओं को कुछ घंटों के लिए दिमाग से हटा देती है।
शराब पीकर अंग्रेज़ी कैसे निकलती है?
- संकोच खत्म होता है, तो सीखी हुई भाषा बिना रुकावट निकलती है
- डोपामिन का स्तर बढ़ता है, जिससे आत्मविश्वास आता है
- फिल्टर हट जाता है, यानी जो हम सोचते थे बोल नहीं सकते, वो बोल जाते हैं
मतलब, शराब आपको बुद्धिमान नहीं बनाती, लेकिन वो डर और शर्म को दबा देती है, जिससे आप खुलकर बोलने लगते हैं।
सामाजिक प्रभाव भी है
ये एक ग्रुप बिहेवियर का हिस्सा भी होता है:
- जब एक व्यक्ति शुरू करता है, बाकी भी पीछे नहीं रहते
- अंग्रेज़ी बोलना ‘कूल’ माना जाता है
- ये दिखाने की कोशिश होती है कि हम भी किसी से कम नहीं
क्या ये खतरनाक है?
सीधा जवाब: नहीं, लेकिन ये गंभीर सामाजिक संकेत देता है:
- अंग्रेज़ी को श्रेष्ठ मानना
- हिंदी या अपनी मातृभाषा बोलने में संकोच
- भाषा से आत्म-मूल्यांकन करना
ये चीज़ें बताती हैं कि भाषा का डर नहीं, बल्कि समाज का डर बोलने से रोकता है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
डॉ. प्रिया मेहरा, न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट, कहती हैं:
“ये शराब नहीं, बल्कि शराब के बाद आई आज़ादी है जो इंसान को खुलकर बोलने देती है। भाषा तो सीखी हुई होती है, उसे बस रास्ता मिल जाता है।”
नशे के बिना भी क्या ऐसा संभव है?
अगर ऐसा माहौल हो जहाँ कोई जज न करे, गलतियों पर हंसी न उड़ाए, और हर भाषा को बराबर सम्मान मिले—तो शायद हमें शराब की जरूरत ही न पड़े।